What Is The Definition Of Women’s Day
रायपुर। भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। सरकारें चाहे जितने भी कड़े कानून बना लें या महिला सुरक्षा अभियान चला लें, लेकिन जब तक ज़मीनी स्तर पर ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक हालात नहीं बदलेंगे।
खोखले दावे बनाम कड़वी हकीकत
सरकारें दावा करती हैं कि वे महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठा रही हैं, लेकिन आए दिन बलात्कार, छेड़छाड़, घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न की घटनाएं सामने आती हैं।
हाल ही में सिक्योरिटी गार्ड द्वारा महिला के साथ रेप का मामला सामने आया। यह घटना दर्शाती है कि सुरक्षा देने वाले ही खतरा बन जाएं, तो महिलाओं के लिए देश में सुरक्षित माहौल कहां है?
What Is The Definition Of Women’s Day
महिलाओं की सुरक्षा पर 3 बड़े सवाल
- कानून तो हैं, लेकिन उनका सही पालन क्यों नहीं हो रहा?
- निर्भया कांड के बाद सख्त कानून बने, लेकिन अपराधियों के हौसले फिर भी बुलंद हैं।
- पुलिस अकसर शिकायत दर्ज करने में देरी करती है, जिससे अपराधियों को बचने का मौका मिलता है।
- कानूनी प्रक्रिया इतनी लंबी क्यों है?
- भारत में बलात्कार के मामलों में सजा दर बेहद कम है।
- केस सालों तक कोर्ट में चलते रहते हैं, जिससे पीड़िता को न्याय मिलने में देर हो जाती है।
क्या सरकार की जिम्मेदारी सिर्फ दावे करना है?
- हर बार घटना के बाद सरकार आश्वासन देती है, लेकिन जमीनी बदलाव नहीं दिखता।
- महिला सुरक्षा के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाने की बातें होती हैं, लेकिन उनका असर नहीं दिखता।
What Is The Definition Of Women’s Day
महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या करने की जरूरत है?
- पुलिस व्यवस्था में सुधार – पुलिस को महिलाओं की शिकायतों को गंभीरता से लेने और त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाएं।
- फास्ट ट्रैक कोर्ट – महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों को तीव्र गति से निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या बढ़ाई जाए।
- कड़ी सजा और सख्त नियम – अपराधियों को सख्त और जल्द से जल्द सजा देने की प्रक्रिया अपनाई जाए।
- महिला सशक्तिकरण और आत्मरक्षा प्रशिक्षण – महिलाओं को आत्मरक्षा और कानूनी अधिकारों की जानकारी दी जाए।
क्या भारत में महिलाएं सिर्फ वादों के सहारे रहेंगी?
अगर सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर वास्तव में गंभीर होती, तो अपराधियों को तुरंत सजा मिलती, पुलिस-प्रशासन और मजबूत होता, और महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करतीं। लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा। अब सवाल ये है कि क्या भारत सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएगी, या फिर से सिर्फ खोखले वादे किए जाएंगे?