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Shardiya Navratri 2024 2nd Day : नवरात्रि के दूसरे दिन जानिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, मंत्र, भोग, आरती और महत्व

Shardiya Navratri 2024 2nd Day

रायपुर। आज शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है और इस दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्माचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी का नाम का अर्थ को हम ऐसे समझ सकते हैं ब्रह्म का अर्थ है तप और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली आदि स्रोत शक्ति। माता के इस स्वरूप की पूजा करने से तप, त्याग, संयम, सदाचार आदि की वृद्धि होती है। मां को साक्षात ब्रह्म का स्वरूप माना जाता है। आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी के इस स्वरूप के बारे में और पूजा विधि, मंत्र और महत्व…

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पूजा तिथि और मुहूर्त

वैदिक पंचाग के अनुसार, नवरात्रि की द्वितीया तिथि की शुरुआत 4 अक्टूबर 02 बजकर 58 मिनट पर हो जाएगी और तिथि का समापन 5 अक्टूबर 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। मां ब्रहमचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

नवदुर्गा के दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए सुबह स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय रंग सफेद और पीला माना जाता है। इसलिए पूजा में सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहने जा सकते हैं। पूजा करने से पहले मंदिर की सफाई करके पिछले दिन के सूखे हुए फूल हटा दें। इसके बाद माता के समक्ष दीपक जलाएं और फल, फूल, चंदन, कुमकुम, अक्षत और दीप आदि रखें। मां के मंत्रों का जाप करें, आरती करें, भोग लगाएं और सभी में प्रसाद का वितरण करके पूजा संपन्न करें।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का मंत्र

– दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

– ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:

– दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

मां ब्रह्माचारिणी का भोग

मां ब्रह्मचारिणी को दूध, चीनी और पंचामृत का भोग लगाना काफी शुभ बताया गया है। अपने हाथों से पंचामृत बनाकर माता रानी को इसका भोग लगाए। ऐसा करने से माता रानी का दूसरा स्वरूप आपसे जरूर प्रसन्न होगा और आपकी हर मनोकामना पूरी होगी। इसके साथ ही मन में माता के मंत्र या जयकारे लगाते रहें। इसके बाद पान-सुपारी भेंट करने के बाद प्रदक्षिणा करें। फिर कलश देवता और नवग्रह की पूजा करें। घी और कपूर से बने दीपक से माता की आरती उतारें और दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

मां ब्रह्माचारिणी की आरती

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता.

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता.

ब्रह्मा जी के मन भाती हो.

ज्ञान सभी को सिखलाती हो.

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा.

जिसको जपे सकल संसारा.

जय गायत्री वेद की माता.

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता.

कमी कोई रहने न पाए.

कोई भी दुख सहने न पाए.

उसकी विरति रहे ठिकाने.

जो ​तेरी महिमा को जाने.

रुद्राक्ष की माला ले कर.

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर.

आलस छोड़ करे गुणगाना.

मां तुम उसको सुख पहुंचाना.

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम.

पूर्ण करो सब मेरे काम.

भक्त तेरे चरणों का पुजारी.

रखना लाज मेरी महतारी.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करना बहुत सरल है और उससे भी सरल है इनको प्रसन्न करना। मां ब्रह्मचारिणी को सच्ची श्रद्धा से अगर बुलाया जाए तो वह तुरंत आ जाती हैं। मां दुर्गा का यह स्वरूप अनंत फल देने वाला माना गया है। मां की पूजा करने से ज्ञान की वृद्धि होती है और सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। माता ब्रह्मचारिणी ने अपने तप के माध्यम से ही हजारों राक्षसों का अंत किया था। तप करने से इनको असीम शक्ति प्राप्त हुई थी।

मां अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बनाए रखती हैं और आशीर्वाद देती हैं। माता के आशीर्वाद से हर कार्य पूरे हो जाते हैं और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। माता की आराधना करने से जीवन में संयम, बल, सात्विक, आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। माता की शक्ति के प्रभाव से तन-मन के सभी दोष दूर होते हैं और जीवन में उत्साह व उमंग के साथ-साथ धैर्य व साहस का समावेश होता है। मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप दिव्य और अलौकिक प्रकाश लेकर आता है।

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