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Rabi Season : चना बोने से पहले करें बीजोपचार, नहीं होगी सूखने की समस्या, फसल होगी मजबूत और स्वस्थ

रायपुर, 01 नवंबर। Rabi Season : रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही किसान चना बोने की तैयारी में जुट गए हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि बुवाई से पहले चने के बीज का सही तरीके से बीजोपचार (Seed Treatment) करना बेहद जरूरी है। इससे फसल में मुरझाने (विल्ट), रोग और कीट संक्रमण की समस्या से बचाव होता है तथा उत्पादन में वृद्धि होती है।

बीजोपचार क्यों जरूरी है

चने की फसल में अक्सर मुरझाने की बीमारी देखने को मिलती है, जिससे पौधे सूख जाते हैं और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसान बुवाई से पहले उचित तरीके से बीजोपचार करें, तो यह समस्या पूरी तरह समाप्त की जा सकती है।

बीजोपचार के प्रमुख लाभ

  • फफूंद जनित बीमारियों से सुरक्षा
  • पौधों की जड़ों को मजबूत बनाना
  • मिट्टी जनित संक्रमण और कीटों से बचाव
  • पौधों की शुरुआती वृद्धि और उपज में सुधार

24 घंटे पहले करें बीजोपचार
वैज्ञानिकों के अनुसार, बीजोपचार बुवाई से कम से कम 24 घंटे पहले किया जाना चाहिए ताकि फफूंदनाशी और कीटनाशक बीजों पर अच्छी तरह चिपक जाएं और प्रभावी सुरक्षा दे सकें।

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह — इन पाँच चीजों से करें चने का बीजोपचार
कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह ने बताया कि किसानों को बीजोपचार के लिए पाँच प्रमुख तत्वों का उपयोग करना चाहिए, जिससे फसल मजबूत बनती है और सूखने की समस्या समाप्त हो जाती है।

  1. कार्बोक्सिन (Carboxin) – प्रति किलो बीज पर 2.5 ग्राम
    → मिट्टी जनित फफूंद रोगों से बचाव करता है।

  2. ट्राइकोडर्मा (Trichoderma powder) – प्रति किलो बीज पर 5 ग्राम
    → पौधों की जड़ों की रक्षा करता है और वृद्धि को बढ़ाता है।

  3. अमोनियम मोलिब्डेट (Ammonium Molybdate) – प्रति किलो बीज पर 1 ग्राम
    → पौधों में नाइट्रोजन फिक्सेशन की प्रक्रिया को बेहतर बनाता है।

  4. रायजोबियम कल्चर (Rhizobium Culture) – प्रति किलो बीज पर 5 ग्राम
    → जड़ों पर नोड्यूल्स बढ़ाता है और मिट्टी की उर्वरता में सुधार करता है।

  5. पीएसबी कल्चर (Phosphate Solubilizing Bacteria) – प्रति किलो बीज पर 5 ग्राम
    → पौधों को फॉस्फोरस और अन्य पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण करने में मदद करता है।

जैविक और रासायनिक उपचार का संतुलन
डॉ. सिंह ने कहा कि बीजोपचार में जैविक और रासायनिक दोनों उपचारों का संतुलन जरूरी है। इससे फसल रोगमुक्त, स्वस्थ और अधिक उत्पादन वाली बनती है। किसानों से अपील की गई है कि वे चना बोने से पहले बीजोपचार की प्रक्रिया को अनदेखा न करें। इससे न केवल सूखने की समस्या समाप्त होगी, बल्कि पौधे मजबूत होंगे और उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

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