Nainital Rape Case
नैनीताल। 30 अप्रैल की रात नैनीताल की वादियां सन्नाटे और चीख-पुकार से गूंज उठीं। एक 12 साल की बच्ची के साथ हुए बलात्कार के बाद गुस्से में आई भीड़ मल्लीताल थाने के बाहर जमा हुई, लेकिन गुस्सा इंसाफ की मांग से ज़्यादा सांप्रदायिक नफरत में बदल गया। आरोप 73 साल के मोहम्मद उस्मान पर था। पीड़िता की मां ने थाने में शिकायत दर्ज कराई, पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया, लेकिन तभी शहर के बड़े बाजार में हालात बेकाबू हो गए।
बड़ा बाजार, जहां ज़्यादातर दुकानदार मुसलमान हैं, अचानक हिंसा की चपेट में आ गया। भीड़ ने नारे लगाए – “मुल्लों को काट डालो”, दुकानों में तोड़फोड़ शुरू कर दी, दुकानदारों को पीटा गया। अहमद अंसारी, जो वहां कैफे चलाते हैं, को 10-12 लोगों ने घेरकर मारा, उनके शरीर पर कई टांके आए। मस्जिद में ईशा की नमाज पढ़ने के बाद मौजूद लोगों ने खुद को अंदर बंद कर लिया, लेकिन भीड़ वहां भी पहुंची, दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश की, और “मस्जिद को आग लगा दो” जैसे नारे लगे।
Nainital Rape Case
थाने में मौजूद मुस्लिम दरोगा आसिफ खान तक को नहीं बख्शा गया। उनकी वर्दी खींची गई, मारने की कोशिश की गई। सोशल मीडिया पर इन हमलों के कई वीडियो वायरल हो चुके हैं। इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि हमला केवल आरोपी के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे समुदाय को निशाना बनाकर किया गया। स्थानीय लोगों और व्यापार मंडल के अध्यक्ष किशन सिंह नेगी ने भी यह स्वीकार किया कि हमला सुनियोजित था। भीड़ में बजरंग दल, रामसेवा दल, शिवसेना और अधिवक्ता संघ के लोग शामिल थे।
भीड़ की मानसिकता का स्तर इस बात से समझा जा सकता है जब बाजार में दुकान चला रही शैला नेगी से एक महिला ने पूछा – “तुम हिंदू हो या मुसलमान?” जब उन्होंने सवाल उठाया कि पीड़िता के इंसाफ की बात कोई क्यों नहीं कर रहा, तो उन्हें पाकिस्तान भेजने की धमकी दी गई। शैला कहती हैं कि आज किसी मस्जिद पर हमला हुआ है, कल यह भीड़ मंदिर या गुरुद्वारे तक भी पहुंच सकती है।
Nainital Rape Case
वहीं दूसरे दिन प्रदर्शनकारियों ने खुलेआम कहा कि मुसलमानों का नैनीताल और हिंदुस्तान से सफाया होना चाहिए। उस्मान के घर पर बुलडोजर चलाने की मांग उठी। उसका मकान अवैध बताया गया और भीड़ के लोग कहने लगे कि प्रशासन से बात हो गई है, अब उस पर कार्रवाई होगी।
पुलिस ने हिंसा, तोड़फोड़ और हमले के मामले में अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की है। वहीं उस्मान के खिलाफ पॉक्सो एक्ट समेत कई गंभीर धाराओं में केस चल रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या नैनीताल की सड़कों पर जो कुछ हुआ, वो सिर्फ उस्मान की वजह से हुआ? या फिर यह सब पहले से तय था – एक बहाना चाहिए था, जो मिल गया।
Nainital Rape Case
नैनीताल जैसे शांत शहर में एक बच्ची के साथ बलात्कार जितनी वीभत्स घटना के बाद अगर लोगों का गुस्सा सांप्रदायिक उन्माद में बदल जाए, तो यह न केवल इंसाफ की राह को धुंधला करता है बल्कि समाज की बुनियाद को भी हिला देता है। उस्मान अगर गुनहगार है तो उसे सजा मिलनी ही चाहिए, लेकिन क्या पूरे समुदाय को अपराधी ठहराना इंसाफ है या एक खतरनाक नफरत की राजनीति?