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Janvedna ki Baat : अभयारण्यों से बदलती तस्वीर, छत्तीसगढ़ बना वन पर्यटन हब

Janvedna ki Baat

रायपुर। आइये आमजनों को जानकारी के लिए हमारी खास प्रस्तुति, छत्तीसगढ़ प्रचुर, प्राकृतिक सम्पदा, जल-जंगल व पर्यटन के साथ धर्म स्थलों से भरा है। आज हम घने जंगलो व वन्य प्राणीयों जो पर्यावरण ऑक्सीजन व मौसम के लिए अति आवश्यक है।

वर्षों से ग्रामीण खाना बनाने व लकड़ी व्यापारी जंगल काटते जा रहे थे। जिससे जंगलो व वन्य प्राणियों का शिकार से अवैध कारोबारी व तस्करी को देखते हुए सरकार ने गंभीरता से वन व वन प्राणियों के लिए कड़े कानून बनाये, जिससे जंगल कटाई और वन्य प्राणियों की हत्याओं कम हुई। सरकार ने घने जंगलो व वहां के वन प्राणियों के लिए पुरे देश में अभ्यारण की घोषणा की, जो अब बड़े-बड़े जंगल व वन्य प्राणियों के कारण पर्यटन का बड़ा नेशनल पार्क केंद्र बन चुका है, जिससे कारोबार ही नहीं शासन का राजस्व बढ़ा।

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आइये जाने अभ्यारण के बारे में केंद्र शासन, जिस जंगल को अभ्यारण घोषणा की, वे नेशनल पार्क बन गया। जैसे देश का सबसे बड़ा कान्हा केसली (म. प्र.), पेंच (महाराष्ट्र), बाधवगढ़ (म. प्र.), बारनवा पारा, सीतानदी, अचाकनमार (छत्तीसगढ़)। जो बड़े पर्यटन स्थल बन गए, देश विदेश के लोग प्राकृतिक सौंदर्य, जंगल, पहाड़ के साथ वन्य प्राणियों को विचरण करते देख सकते है।

अभ्यारण नीति में जंगल में जो जैसा है, वैसा ही रहेगा। गिरी लकड़ी व पत्थर व मिटटी व पेड़ नहीं काट सकते। गिरी पेड़ वही पड़ी और गल जाएगी। वन गांवो को जंगल के बाहर विस्थापित कर बसाया और अभ्यारण जंगल में ग्रामीण व आमजनों को घुसने पर पाबन्दी। और नेशनल पार्क के रूप में पर्यटकों को पंजीयन व जिप्सी, गाइड की सुविधा से जंगल व वन्य प्राणियों को निकट से देखने का मौका मिलता है। यही नहीं कोई वन्य प्राणी बीमार व मरता है तो उसे जंगल विभाग अपने निगरानी में देख-रेख व दफनाता है।

पूरा अभ्यारण जंगल विभाग के निगरानी के कारण वन्य प्राणियों की संरक्षण व संख्या बढोत्तरी हुई। देश के सबसे बड़े नेशनल पार्क कान्हा केसली, जो मध्य प्रदेश के दो जिला मंडला व बालाघाट के हजारो कि.मी. क्षेत्रफल में है और छत्तीसगढ़ राज्य से लगभग जुड़ा है। कान्हा केसली के स्वागत द्वारा आपके जानकारी में नर हिरणों के बड़े सींगों से बना है। नर हिरण के सींग जो प्रजनन के पहले उगते और प्रजनन के बाद झड़ते से, जो दवा व श्रृंगार आभूषण के कारण ग्रामीण बिन कर व हिरणों का शिकार से सिंग व मांस के लिए करते थे।

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और इसे बीनने जंगलों में आग लगा देते थे, अभ्यारण के कारण हिरण के झड़े सींगो को बिनने ग्रामीण अभ्यारण में घुसने प्रतिबंध लगा दिया और जंगल विभाग इसे बिन कर कान्हा का बड़ा स्वागत द्वार बनाया, जहां लोग व बच्चे, महिला सेल्फी लेते है। जिससे हिरण, बारासिंघा, सांभर, चीतल के सींग एकत्रित कर बनाया गया।

केंद्र शासन के जंगल व वन्य प्राणियों को संरक्षण हेतू अभ्यारण से नेशनल पार्क बनाया गया जो आमजनों के लिए पर्यटन, ऑक्सीजन व वन्य प्राणियों के विचरण करते देखने का बड़ा पर्यटन मिला।

DA न्यूज़ में स्वयं धरातल में कान्हा केसली में इसे पाया के सींगो से स्वागत द्वारा, वन्य प्राणियों का खुला विचरण व जंगल विभाग की निगरानी व देख-रेख से पर्यटन से बड़ी संख्या के लोगो का आगमन ठहरने के लिए रिसॉट, लाज के साथ खाने के लिए होटल, ढाबा, दुकाने,जिप्सी व नेशनल पार्क में प्रवेश हेतू रिकिट से राजस्व व लोगो का रोजगार मिल रहा है।

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