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Thursday, October 16, 2025

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Gupt Navratri 2024 : आज से शुरू हो रहे हैं आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, इस बार 10 दिनों तक मां दुर्गा की उपासना

Gupt Navratri 2024

हिन्दू धर्म में नवरात्रि का बड़ा महत्व है। साल भर में वैसे तो दो नवरात्रि मुख्य मानी जाती हैं, जिनके बारे में सभी जानते हैं। इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि शामिल हैं। लेकिन, इसके अलावा दो और नवरात्रि आती हैं जिन्हें गुप्त नवरात्रि के रूप में जाना जाता है और हिन्दू पंचांग के अनुसार ये माघ और आषाढ़ माह में आती हैं।

गुप्त नवरात्रि आज यानी 6 जुलाई से शुरू हो रही है, लेकिन इस बार गुप्त नवरात्रि 9 दिनों तक नहीं बल्कि 10 दिनों की मां दुर्गा की आराधना होगी। तो इस बार 6 जुलाई से शुरू होकर गुप्त नवरात्रि 15 जुलाई तक चलेगा। सनातन धर्म में मां दुर्गा की आराधना नवरात्रि में नौ दिनों तक की जाती है।

आषाढ़ महीने के गुप्त नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि तंत्र-मंत्र साधकों के लिए महत्वपूर्ण मानी गई है। नवरात्रि के दिनों में साधक अपनी तंत्र विद्या के जरिए तंत्र साधना को सिद्ध करने के लिए देवी की उपासना करते हैं। पूजा पाठ में भोग का भी विशेष महत्व होता है. देवी देवताओं को उनकी रुचि के अनुसार भोग लगाना चाहिए।

Gupt Navratri 2024

नौ दिनों तक माता को लगाएं अलग अलग भोग

  • आषाढ़ के गुप्त नवरात्रि में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए काली देवी की पूजा की जाती है, इसमें घी से बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है।
  • गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए मां तारा की पूजा की जाती है,इसमें दूध से बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है।
  • गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए त्रिपुर सुंदरी की पूजा की जाती है। इस दिन पंचामृत का भोग लगाया जाता है।
  • गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन कुष्मांडा देवी की पूजा होती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए भुनेश्वरी देवी की पूजा की जाती है। इस दिन मालपुआ का भोग लगाया जाता है।
  • गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए माता छिन्नमस्तिका की पूजा आराधना की जाती है। इस दिन केले का भोग लगाया जाता है।
  • गुप्त नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए माता त्रिपुरा देवी की पूजा की जाती है। इस दिन गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है।
  • गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए धूमावती देवी की पूजा की जाती है। इस दिन मीठे पानी का भोग लगाया जात है।
  • गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए बगलामुखी देवी की पूजा की जाती है। इस दिन नारियल के लड्डू का भोग लगाया जाता है।
  • गुप्त नवरात्रि के नौवे दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए मातंगी देवी की पूजा की जाती है। इस दिन केसर का भोग लगाया जाता है।
  • गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन माता कमला की पूजा की जाती है, इस दिन खीर, पूरी, हलवा का भोग लगाया जाता है।
  • गुप्त नवरात्रि न सिर्फ तांत्रिक साधनाओं के लिए बल्कि, आम भक्तों के लिए भी महत्वपूर्ण होती है. आम भक्त 9 दिनों तक माता देवी के नौ रूपों की पूजा करके भोग लगा सकते हैं।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। घट स्थापना करने से माता दुर्गा प्रसन्न होती है। भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 6 जुलाई 2024 को सुबह 5:28 से लेकर सुबह 10:06 तक रहेगा। इसके अलावा कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:57 से दोपहर 12:53 तक रहेगा।

 

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