Delhi New CM Oath Ceremony
नई दिल्ली। दिल्ली की राजनीति में यह अनोखा घटनाक्रम देखने को मिल रहा है, जहां पहले शपथ ग्रहण समारोह की भव्य तैयारियां हो रही हैं, मेहमानों की सूची बन रही है, लेकिन अभी तक दूल्हे यानि की “मुख्यमंत्री” का नाम तय नहीं हो पाया है। बता दें कि राजनीतिक प्रक्रियाओं में आमतौर पर पहले नेता का चयन होता है, फिर आयोजन की तैयारियां होती हैं, लेकिन यहां दिल्ली में भाजपा का पूरा सीक्वेंस उलटा चल रहा है।
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भाजपा के इस रुख से अटकलों का बाजार गर्म है। क्या पार्टी कोई बड़ा सरप्राइज देने वाली है? या फिर यह सिर्फ रणनीतिक देरी है? 19 फरवरी को विधायक दल की बैठक के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी, लेकिन फिलहाल यह राजनीतिक ड्रामा काफी दिलचस्प मोड़ पर है। बता दें कि दिल्ली के नए मुख्यमंत्री की शपथ 20 फरवरी को होनी है।
Delhi New CM Oath Ceremony
भाजपा में मुख्यमंत्री पद की रेस को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। पार्टी अक्सर चौंकाने वाले फैसले लेती रही है, लेकिन इस बार छह विधायकों के नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं।
संभावित नाम और समीकरण
सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने कुल 15 विधायकों के नामों की समीक्षा की और उनमें से 9 को शॉर्टलिस्ट किया है। इन्हीं नामों में से मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष का चयन किया जाएगा।
जातीय और क्षेत्रीय संतुलन
वहीं दिल्ली मंत्रिमंडल में अधिकतम 7 मंत्री हो सकते हैं। ऐसे में चर्चा है कि भाजपा दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों से एक-एक विधायक को शामिल कर सकती है। बिहार और पंजाब में होने वाले चुनावों के अलावा, जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को भी ध्यान में रखा जाएगा।
Delhi New CM Oath Ceremony
भाजपा का फॉर्मूला
भाजपा ने अतीत में संगठन से जुड़े अनुभवी चेहरों को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी है। इस बार भी पार्टी इसी रणनीति पर आगे बढ़ सकती है। हालांकि, अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व और संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद लिया जाएगा। गौरतलब है कि दिल्ली में बीजेपी को 48 सीटों के साथ शानदार जीत मिली, लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए अब भी संशय बना हुआ है। पार्टी अब भी “दूल्हे” की तलाश में है, और इस रेस में दो नाम सबसे आगे हैं—विजेंद्र गुप्ता और रेखा गुप्ता।
विजेंद्र गुप्ता क्यों हो सकते हैं पसंद?
- अनुभवी नेता: रोहिणी से लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए।
- AAP लहर में भी जीते: 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत के बावजूद अपनी सीट बचाई।
- विधानसभा में विपक्ष के नेता: 2015 से 2020 तक दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे, जिससे उनका प्रशासनिक अनुभव मजबूत हुआ।
- छात्र राजनीति का अनुभव: दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।
रेखा गुप्ता कितनी ताकतवर?
- नई लेकिन प्रभावशाली चेहरा: 2025 में पहली बार शालीमार बाग से विधायक बनीं, 2015 से चुनाव लड़ रही थीं।
- स्थानीय राजनीति में पकड़: 2 बार पार्षद रह चुकी हैं, जिससे जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ बनी।
- संघ की करीबी: दिल्ली में RSS की सक्रिय सदस्य हैं, जो संगठन में उनकी स्वीकार्यता को बढ़ाता है।
- छात्र राजनीति में दमदार पृष्ठभूमि: DU छात्र संघ की अध्यक्ष और सचिव रह चुकी हैं।
Delhi New CM Oath Ceremony
48 घंटे में क्या हो सकता है?
- बीजेपी के आलाकमान को अनुभव और नए चेहरे के बीच संतुलन बनाना होगा।
- अगर अनुभवी और प्रशासनिक क्षमता को प्राथमिकता दी गई, तो विजेंद्र गुप्ता की दावेदारी मजबूत होगी।
- अगर महिला नेतृत्व और नई ऊर्जा पर दांव खेला गया, तो रेखा गुप्ता को मौका मिल सकता है।
अगले 48 घंटे में दिल्ली का नया मुख्यमंत्री तय होगा। देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी किसे ताज पहनाती है। क्या इस बार भी भाजपा कोई चौंकाने वाला फैसला लेगी, या फिर अनुभवी नामों में से किसी को प्रदेश की कमान सौंपी जाएगी? यह देखना काफी दिलचस्प होगा।