Chhath Puja 2024
रायपुर। आज छठ महापर्व का तीसरा है। वर्ती महिलाएं डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पूरे दिन व्रत रखती हैं। यह एकमात्र समय है जब डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। डाला छठ, छठी और सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाने वाला छठ पूजा बिहार, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों और नेपाल में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन नहाय खाय से शुरू होती है। पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और उगते सूर्य सप्तमी को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त होता है। इस चार दिवसीय त्योहार में सूर्य और छठी मैया की पूजा की जाती है। आमतौर पर, महिलाएं अपने बेटों और परिवार के सदस्यों की दीर्घायु के लिए के लिए इस दौरान व्रत रखती हैं।
आज सूर्यास्त का समय 07 नवंबर 2024 दिन गुरुवार को शाम 5 बजकर 31 मिनट पर है। आज इस समय पर छठ पर्व के तीसरे दिन सूर्य भगवान को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। इसे अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य कहा जाता है, जिसका अर्थ है ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देना।
Chhath Puja 2024
छठ व्रत करने की विधि
- छठ पूजा के लिए दो बड़े बांस की टोकरी लें, जिन्हें पथिया और सूप के नाम से जाना जाता है।
- इसके साथ ही डगरी, पोनिया, ढाकन, कलश, पुखार, सरवा भी जरूर रख लें।
- बांस की टोकरी में भगवान सूर्य देव को अर्पित करने वाला भोग रखा जाता है। जिनमें ठेकुआ, मखान, अक्षत, भुसवा, सुपारी, अंकुरी, गन्ना आदि चीजें शामिल हैं।
- इसके अलावा टोकरी में पांच प्रकार के फल जैसे शरीफा, नारियल, केला, नाशपाती और डाभ (बड़ा वाला नींबू) रखा जाता है।
- इसके साथ ही टोकरी में पंचमेर यानी पांच रंग की मिठाई रखी जाती है। जिन टोकरी में आप छठ पूजा के लिए प्रसाद रखा रहे हैं उन पर सिंदूर और पिठार जरूर लगा लें।
- छठ के पहले दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है।
- इस दिन भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए बांस या पीतल की टोकरी या सूप का उपयोग करना चाहिए।
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