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Bengaluru Atul Suicide Case : बेंगलुरु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष ने पत्नी की प्रताड़ना से तंग आकर लगाई फांसी, दर्द भरी दास्तां के बाद फूटा लोगों का गुस्सा

Bengaluru Atul Suicide Case

बेंगलुरु। बेंगलुरु में एक AI इंजीनियर के सुसाइड का मामला सामने आया है। मिली जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के जौनपुर के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर 34 वर्षीय अतुल सुभाष ने अपने घर पर सुसाइड कर लिया। वहीं अतुल ने जान देने से पहले सुसाइड 24 पेज का नोट और 90 मिनट का एक वीडियो भी बनाकर कर छोड़ा है, जिसमें अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर उत्पीड़न और उसके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने का आरोप लगाया है।

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दुनिया को अलविदा कहने से पहले उन्होंने जौनपुर फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक पर भी घूसखोरी और उत्पीड़न का आरोप लगाया। जिसे लेकर अब सोशल मीडिया पर खूब बवाल मचा हुआ है। लोग अतुल के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया यूजर्स अतुल की पत्नी जिस कंपनी में काम करती है, वहां से उसे नौकरी से निकालने की अपील कर रहे हैं।

इस बीच सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले में पत्नी और उसके परिजनों के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है। अतुल सुभाष ने अपने सुसाइड नोट पर आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ कई मामले दर्ज करा रखे थे। उनकी पत्नी उनसे 3 करोड़ की मांग कर रही थी।

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जानें पूरा मामला

बता दें कि बेंगलुरु पुलिस ने सुभाष के भाई बिकास कुमार की शिकायत पर उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया, उनकी मां निशा सिंघानिया, भाई अनुराग सिंघानिया और चाचा सुशील सिंघानिया के खिलाफ BNS की धारा 108 और 3(5) के तहत FIR दर्ज की है। अतुल सुभाष ने अपने 90 मिनट के वीडियो और 24 पन्नों के सुसाइड नोट में अपनी पत्नी और उसके परिवार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था। उन्होंने जज रीता कौशिक पर भी आरोप लगाया कि उन्होंने उनकी बात नहीं सुनी और न्याय नहीं दिया

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पुरुषों पर फर्जी केस

पुरुष अधिकारों के लिए काम करने वाली त्रेहन ने बताया कि 498 (आईपीसी की धारा) जैसे केसेज जानबूझकर लगाए जाते हैं पुरुषों के ऊपर 95 प्रतिशत। सुप्रीम कोर्ट कहता है कि ये फेक हैं केसेज। अगर सुप्रीम कोर्ट ही लीगल टेररिज्म कह रहा है तो सोचिए क्या हालात होगी देश के पुरुषों की। बेचारे दम तोड़ देते हैं, कोई सुनने वाला नहीं है।

मीडिया में हाईलाइट हो गया तो हम बातें कर लेते हैं लेकिन वे रोज मर रहे हैं। जो कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने हैं, उसे हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। उससे पुरुषों और उनके मां-बाप को टॉर्चर किया जाता है और ब्लेकमेल किया जाता है।

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