RAIPUR NEWS
रायपुर। राजधानी रायपुर में 2010 से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया गया था। उस समय 500 वर्गफीट से ज्यादा के सभी निर्माणों पर यह सिस्टम लगवाने के लिए निगम के तरफ सुरक्षा निधि भी लिया जाता रहा है। लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 1500 वर्ग फीट कर दिया गया था। बारिश के पानी से जमीन के अंदर का वाटर लेवल बढ़ाने की सारी कोशिशें धीरे-धीरे फेल हो रही हैं। यही वजह है कि कई कारगर उपाय करने के बावजूद अंडरग्राउंड वाटर लेवल बढ़ ही नहीं रहा है।
इन आदेशों के बाद से अब तक शहर में 9016 रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जा चुके हैं। लेकिन शहर की जनसंख्या और यहां हुए निर्माणों की तुलना में यह आंकड़ा बहुत कम है। शहर के ढाई लाख निर्माणों में कम से कम 50 हजार घरों में यह सिस्टम लगाए जाते तो भविष्य के संकट को टाला जा सकता है।
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शहर के सभी कॉलोनियों को अपनी-अपनी कॉलोनियों में एसटीपी लगाना अनिवार्य है। एसटीपी लगाने के लिए कालोनाइजरों को नगर निगम में प्रति हेक्टेयर एक लाख रुपए जमा करना होता है। यह रकम तब वापस होती है जब कालोनी में प्लांट लगा लिया जाए। और सीवरेज का पानी साफ करके उसका दोबारा उपयोग होने लगे।
निगम टाउन प्लानिंग विभाग का कहना है कि कालोनी बनाने के समय कॉलोनाइजरों की ही जिम्मेदारी है कि वह कॉलोनी के लोगों के पानी के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे ओवरहेड टैंक, संपवेल आदि बनाकर दे। लेकिन उनके पास पानी के लिए एकमात्र विकल्प बोर ही होता है।
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लेकिन गर्मी या एक समय बाद बोर भी सूखने लगते हैं। इससे पानी की किल्लत शुरू हो जाती है। तब वे नगर निगम से पानी मांगते हैं। पानी की उपलब्धता होने पर ही निगम उन्हें कनेक्शन की मंजूरी देता है। निगम की राइजिंग लाइन वहां से गुजरी है तो कॉलोनाइजर उससे अपने ओवरहेड टैंक को कनेक्ट कर सकते हैं।
वाटर लेवल के लिए उपाय
- ड्रेन टू ड्रेन सड़कें ना हो, कुछ खाली जमीन छोड़ें
- ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए जाएं, हरियाली बढ़े
- कालोनी में कंक्रीटीकरण के बजाए पेवर ब्लॉक लगाएं
- कालोनियों के भीतर बड़ा हिस्सा खुली जमीन का हो
- घर बनाते समय ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाएं
बड़ी कालोनियों में एसटीपी अनिवार्य रूप से लगाए जाएं
- घर बनाने के लिए बैकवॉश वाटर का उपयोग किया जाए
- गाड़ी धोने और घर बनाने में पीने का पानी का उपयोग न करें