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Chhath Puja Kharna 2024 : महापर्व छठ का आज दूसरा दिन, जानिए खरना के नियम और महत्व

Chhath Puja Kharna 2024

रायपुर। चार दिनों तक चलने वाले महापर्व छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर मंगलवार को नहाय-खाय से हुई। आज इस महापर्व का दूसरा दिन है। आज वर्ती महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर खरना प्रसाद बनती हैं। इसके बाद अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत का समापन होता है। खरना प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत करते हैं।

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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाने वाली छठ पूजा मुख्य रूप से महिलाएं करती हैं। यह व्रत सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया की पूजा के लिए होता है। छठ महापर्व में खरना का विशेष महत्व होता है। इस दिन छठ का विशेष प्रसाद बनाया और खिलाया जाता है। आइए जानते हैं खरना का महत्व और नियम…

Chhath Puja Kharna 2024

खरना पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार खर का अर्थ पवित्रता होता है। इस दिन को नहाय-खाय के बाद मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन आत्मा की पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। खरना छठ पूजा के सबसे महत्वपूर्ण पूजा दिनों में से एक है। यह दिन छठी मैया के आगमन का प्रतीक है जिसके बाद भक्त 36 घंटे का निर्जल उपवास करते है।

खरना के नियम
  • खरना के दिन मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाई जाती है, जिसके लिए पीतल के बर्तन का ही प्रयोग किया जाता है। यह खीर बहुत ही शुद्धता और पवित्रता को ध्यान में रखते हुए बनाई जाती है, इसलिए इसे मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है। इसके अलावा गुड़ की अन्य मिठाई, ठेकुआ और लड्डू आदि भी बनाया जाता है।
  • खरना की यह खीर केवल व्रती ही बना सकता है और पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम के समय व्रती व्यक्ति इसी गुड़ की खीर का सेवन करते हैं। शाम के समय व्रती कमरा बंद करके ही खीर का सेवन करता है। इसके बाद पूरा परिवार व्रती से आशीर्वाद लेता है। इस दौरान सुहागन महिलाएं व्रती महिलाओं से सिंदूर भी लगवाती हैं।
  • शाम के समय केले के पत्ते पर खीर, के कई भाग किए जाते हैं और अलग-अलग देवी देवताओं, छठ मैय्या, सूर्य देव का हिस्सा निकाला जाता है। इस पर खीर के साथ केला, दूध, बाकी पकवान भी रखे जाते हैं। छठी मैया का ध्यान करते हुए ही इस प्रसाद को ग्रहण किया जाता है।
  • खरना के दिन गुड़ की खीर का भोग लगाने के बाद सबसे पहले प्रसाद को व्रती ग्रहण करता है इसके बाद ही पूरा परिवार भी इस प्रसाद का ग्रहण करता है।
  • छठ का व्रत रखने वाले को इस दिन भूमि पर सोना चाहिए। इस दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दौरान सोना के लिए तकिया आदि का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।

Chhath Puja Kharna 2024

महापर्व के विशेष मुहूर्त
  • खरना पूजा- शाम 5 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 48 मिनट तक
  • अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय- शाम 5 बजकर 5 मिनट तक
  • उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने का समय- 6 बजकर 2 मिनट से पहले

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