देश के किसान अपनी मांगो को लेकर दिल्ली कूच के लिए निकल पड़े हैं, वे अपने साथ 800 ट्रॉलियों में 6 महीने का राशन लाए हैं, कई ट्रॉलियों में सोने तक का प्रबंध भी किया गया है। उनमें गद्दे बिछाए गए हैं। इसके साथ पानी के टैंकर-ड्रम और डीजल भी लेकर जा रहे, जत्थों में महिलाएं भी शामिल हैं, जो लंगर की जिम्मेदारी संभालेंगी. इससे पहले जब किसान आंदोलन हुआ था तब 32 किसान संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले संघर्ष किया था, अब 50 के करीब संगठनों ने अपना-अलग गुट तैयार कर मंगलवार से संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है.

किसान आंदोलन पर अड़े किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के ऐलान को देखते हुए दिल्ली और हरियाणा में धारा-144 लागू कर दी गई है, दिल्ली की तीन प्रमुख सीमाओं सिंघु, टीकरी, गाजीपुर में लोहे और कंक्रीट के बैरिकेड लगाए गए हैं, कंटीले तार, कंटेनर और डंपर लगाकर भी रास्ते बंद कर दिए गए हैं, इतना ही नहीं सुरक्षा कारणों से दिल्ली में दो मेट्रो स्टेशनों के गेट भी बंद कर दिए गए हैं, साथ ही दिल्ली-नोएडा के बॉर्डर एरिया के स्कूलों में छुट्टी कर दी गई है.
ये है किसानों की प्रमुख मांगें
स्वामीनाथन रिपोर्ट के अनुसार सभी फसलों की एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग
किसानों और खेत मजदूरों की कर्जमाफी की मांग
लखीमपुर खीरी में जान गंवाने वाले किसानों को इंसाफ और आशीष मिश्रा की जमानत रद्द कर सभी दोषियों को सजा की मांग
लखीमपुर खीरी कांड में घायल सभी किसानों को वादे के मुताबिक 10 लाख रुपये मुआवजे की मांग
किसान आंदोलन के दौरान दर्ज केस रद्द करने की मांग
पिछले आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के आश्रितों को नौकरी
200 दिन मनरेगा की दिहाड़ी मिले
700 रुपये प्रतिदिन मजदूरी की मांग
फसल बीमा सरकार खुद करे
किसान और मजदूर को 60 साल होने पर 10 हजार रुपये महीना मिले
विश्व व्यापार संगठन से खेती को बाहर किया जाए.