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Holi in Vrindavan: ब्रज में चढ़ा होली का रंग! वृंदावन में 100 किलो फूलों से होली, बरसाना की लठामार होली में बरसेगा 1000 किलो टेसू के फूलों का रंग

ब्रज की होली।

Holi being played with 100 kg flowers in Vrindavan

आध्यात्म डेस्क. मथुरा के बरसाना में खेली जाने वाली ब्रज की अनोखी लठामार होली की तैयारी जोरो पर है, यहां श्रीजी मंदिर पर टेसू के फूलों से रंग बनाए जा रहे हैं, दरअसल, यहां रसायन युक्त रंगों का प्रयोग नहीं किया जाता है, 10 क्विंटल टेसू के फूलों से तैयार प्राकृतिक रंग बनाया जा रहा है, ब्रज की लठामार होली में हर चीज परंपरा के अनुसार होती है, ये परंपरा द्वापरकाल से चली आ रही हैं, जो अब तक कायम हैं।

मथुरा के बरसाना में खेली जाने वाली ब्रज की अनोखी लठामार होली की तैयारी जोरो पर है

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ब्रज में वसंत पंचमी के दिन से होली का उत्सव ब्रज के मंदिरों में शुरू हो जाता है, ब्रज में होली एक दो दिन नहीं बल्कि पूरे 40 दिनों तक खेली जाती है, इन 40 दिनों के अंदर ब्रज के विभिन्न मंदिरों में होली के अलग अलग रंग देखने को मिलते है और अगर आप इस समय ब्रज में आ रहे है तो आपको ब्रज के इन मंदिरों आ कर दर्शन जरुर करने चाहिए.

ब्रज की अनोखी लठामार होली

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सबसे पहले है वृंदावन का विश्वप्रसिद्ध बाँके बिहारी मंदिर बिहारी जी के मंदिर में होली का भव्य नजारा देखने को मिलता है और इन दिनों में भी मंदिर में जम कर श्री बाँकेबिहारी का प्रसाद गुलाल भक्तों के ऊपर उड़ाया जा रहा है अगर आप भी मंदिर में भगवान के साथ होली खेलना चाहते है तो तो आप सुबह 8:45 पर होने वाली आरती में शामिल हो सकते है जिसके बाद ही मंदिर में रंग उड़ाया जाता है.

बाँके बिहारी मंदिर बिहारी जी के मंदिर में होली का भव्य नजारा

इसके बाद है श्री राधावल्लव मंदिर इस मंदिर में आपको भगवान के साथ होली खेलने को तो मिलेगी ही साथ ही होली के दौरान इस मंदिर में भगवान कई अलग अलग रूप में सुंदर शृंगार कर भक्तों को दर्शन भी देते है, इस मंदिर में दर्शन खुलने के साथ ही रंगो की बौछार भक्तों के ऊपर पड़नी शुरू हो जाती है, यहाँ तक कि शाम के समय भी भक्तों के ऊपर खूब रंग उड़ाया जाता है.

श्री राधावल्लव मंदिर होली का नजारा

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फिर आता है वृंदावन का राधारमण मंदिर इस मंदिर में आपको भगवान के सबसे छोटे स्वरूप के दर्शन होंगे साथ ही रंगो के साथ साथ हर शाम करीब 100 किलो फूलो के साथ फूलो की होली भी मंदिर प्रांगण में खेली जाती है, जिसका नजारा देखने लायक होता है और इस होली में शामिल होने के लिये हर दिन लाखों की संख्या के भक्त मंदिर आते है.

ऐसे बनता है टेसू ईको फ्रेंडली रंग
सबसे पहले टेसू के फूलों को पानी के साथ बड़े-बड़े ड्रमों में भिगोया जाता है, उसके बाद फूलों का रस निकाला जाता है, निकले रस में चूने को मिलाकर वापस ड्रमों में भर दिया जाता है, इस प्रकार तैयार किया जाता है टेसू ईको फ्रेंडली रंग, फिर खेली जाती है विश्व प्रसिद्ध लठामार होली.

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