This time Holashtak is falling on 17th March
अध्यात्म डेस्क. हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होली का पर्व मनाया जाता है, होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाता है और हमारे हिंदु धर्म में होलाष्टक में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है, हिंदू धर्म में होलाष्टक का विशेष महत्व माना गया है और इस दौरान कुछ सावधानियां बरतने की भी सलाह दी जाती है. आइए जानते हैं इस बार कब शुरू हो रहे हैं होलाष्टक?
17 मार्च को लगेगा होलाष्टक (Holashtak on 17th March)
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन होलाष्टक शुरू होते हैं, पंचांग के अनुसार इस साल यह तिथि 16 मार्च को रात 9 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और 17 मार्च को सुबह 9 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी, उदयातिथि के अनुसार होलाष्टक 17 मार्च से लगेगा और पूर्णिमा के दिन यानि 24 मार्च को होलिका दहन के साथ समाप्त होगा फिर 25 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा.
होलाष्टक को क्यों माना जाता है अशुभ?
उत्तर भारत में होलाष्टक को अशुभ मुहूर्त माना गया है और इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता. कहते हैं कि 8 दिनों तक चलने वाले होलाष्टक में ब्रह्मांडीय स्थिति ऐसी होती है कि कोई भी शुभ कार्य करने पर अशुभ फल प्राप्त होता है और समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
ऐसी भी मान्यता है कि होलाष्टक की अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक अलग-अलग ग्रहों की नकारात्मकता बढ़ जाती है, जिसकी वजह से कार्यों पर अशुभ प्रभाव पड़ता है और इसलिए शुभ कार्य करने की मनाही होती है. होलाष्टक के दौरान अष्टमी तिथि को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, Holashtak on 17th March एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चुतर्दशी को मंगल तो पूर्णिमा को राहु की ऊर्जा काफी नकारात्मक रहती है. जिसकी वजह से यह भी कहा जाता है कि इन दिनों जातकों में निर्णय लेने की क्षमता काफी कमजोर होती है जिससे वे कई बार गलत निर्णय भी कर लेते हैं जिससे हानि होती है. होलाष्टक में भले ही शुभ कार्यों के करने की मनाही है लेकिन देवताओं की पूजा अर्चना कर सकते हैं.