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Zombie Deer Disease : दुनिया में ‘जॉम्बी बीमारी’ ने दी दस्तक, अभी जानवरों में फैली, इंसान भी हो सकते हैं संक्रमित…

Zombie Deer Disease

दुनिया में एक नए तरह का संक्रमण प्रवेश कर चुका है.अमेरिका में हिरणों को होने वाली जॉम्बी डियर डिजीज (Zombie Deer Disease) का पता चला है. इस वायरस की चपेट में आए हिरण अजीबोगरीब हरकतें कर रहे हैं क्योंकि इस बीमारी के चलते उनके ब्रेन में छेद हो गए हैं, अमेरिका में पिछले दो महीने में कई प्रांतों से इस तरह के केस आ रहे हैं जिससे वैज्ञानिक काफी चिंता में पड़ गए हैं. कहा जा रहा है कि अमेरिका के करीब 32 प्रांत और कनाडा के चार प्रांतों में हिरणों को ये अजीबोगरीब लेकिन संक्रामक बीमारी हो गई है. डॉक्टरों ने इसे क्रॉनिक वेस्टिंग डिजीज की श्रेणी में रखा है और चेतावनी जारी की है कि लोग हिरण, मूस और एल्क जैसे जानवरों का मांस खाने से परहेज करें.

Zombie Deer Disease

जॉम्बी डियर बीमारी आखिर क्या है?
रिपोर्ट के मुताबिक जॉम्बी डियर डिजीज (Zombie Deer Disease) एक घातक औऱ संक्रामक बीमारी है जो सर्विड्स नामक जानवरों के एक समूह पर हमला करती है, इस समूह में हिरण , रेंडियर, मूस, एल्क और कारिबू जैसे जानवर शामिल हैं. इस बीमारी के तहत असामान्य प्रोटीन के कण जानवरों के ब्रेन के टिश्यूज में जमा होने लगते है, इससे इन जानवरों का दिमाग भ्रमित होने लगता है और वो अजीबोगरीब हरकतें करने लगते हैं, वो एक ही जगह पर देखता रहता है और शिकारी से बचने के प्रयास तक नहीं करता. उसका शरीर धीरे धीरे कमजोर और शिथिल होने लगता है. कहा जा रहा है कि ये बीमारी संक्रामक है और संक्रमित जानवरों के तरल पदार्थ, मल मूत्र, वनस्पति या मिट्टी के संपर्क से भी दूसरे जानवरों को फैल सकती है.

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Zombie Deer Disease से क्या इंसानों पर बढ़ा खतरा?
वैज्ञानिक इस बात की चिंता जता रहे हैं कि कहीं ये बीमारी बंदरों तक ना पहुंच जाए. क्योंकि बंदर इंसानी इलाकों में रहते आए हैं और अगर ये बीमारी बंदरों में फैली तो इंसान इसके सबसे ज्यादा शिकार हो सकते हैं. हालांकि ये बहुत रेयर बात है.

Zombie deer disease

क्या हैं Zombie Deer Disease (जॉम्बी डियर डिजीज) के लक्षण?
जॉम्बी डियर डिजीज के लक्षण डेवलप होने में करीब एक साल लगता है, इसके शिकार हिरणों की जांच किए जाने पर पता चलता है कि संक्रमित जानवर इस वायरस के प्रकोप के चलते कमजोर होने लगता है. उसका वजन गिरने लगता है और वो थकान महसूस करने लगता है. उसकी ऊर्जा खत्म होने लगती है और उसके पैर लड़खड़ाने लगते हैं. फिलहाल की बात करें तो इस बीमारी का इलाज संभव नहीं है. ऐसे में संक्रमित इलाकों के स्वस्थ जानवरों को माइग्रेशन के जरिए सुरक्षित रखने के उपाय किए जा रहे हैं. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि लोग इन जानवरों के मांस को खाने से परहेज करें अन्यथा ये बीमरी इंसानों को भी अपनी चपेट में ले सकती है.

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