Wildlife Sanctuaries MP
सागर। मध्यप्रदेश को अब उसका 25वां वन्यजीव अभयारण्य मिल गया है, और खास बात ये है कि इसका नाम संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर रखा गया है। सरकार ने सागर जिले के बंडा और शाहगढ़ क्षेत्र के 258.64 वर्ग किलोमीटर आरक्षित वन क्षेत्र को अब एक संरक्षित अभयारण्य में तब्दील कर दिया है। इस घोषणा की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है, और इसे अंबेडकर जयंती से ठीक पहले लागू किया गया है, जिससे यह फैसला बाबा साहब को एक प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि के रूप में भी देखा जा रहा है।
इस अभयारण्य की स्थापना से न केवल जंगल और वन्यजीवों का संरक्षण होगा, बल्कि यह इलाका अब इकोटूरिज्म के लिए भी एक संभावित गंतव्य बन सकता है। सरकार का कहना है कि इससे पारिस्थितिक संतुलन मजबूत होगा, खाद्य श्रृंखला को स्थायित्व मिलेगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे। यह अभयारण्य उत्तर सागर वन मंडल के अंतर्गत आता है, जहाँ पहले भी घना जंगल और विविध जैवविविधता रही है।
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इसी के साथ एक और दिलचस्प खबर सामने आई है — बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की पनपथा बीट में फील्ड स्टाफ ने जंगल में गश्त के दौरान 12 सोन कुत्तों का झुंड देखा है। ये सोन कुत्ते काफी दुर्लभ माने जाते हैं और आमतौर पर किसी एक जगह पर नहीं टिकते, बल्कि पूरे जंगल में झुंड में घूमते रहते हैं। इनकी उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि उस क्षेत्र का पारिस्थितिक तंत्र अब भी काफी समृद्ध और संतुलित है।
जहाँ एक ओर सागर जिले में नया अभयारण्य घोषित हुआ है, वहीं दूसरी ओर गुना जिले के राघौगढ़ क्षेत्र में भी वन्य अभयारण्य की पुरानी माँग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने सोशल मीडिया पर यह मुद्दा उठाया है और कहा है कि राघौगढ़ के अभयारण्य की मांग सालों से लंबित है और यदि किसी राजनीतिक कारण से इसे रोका जा रहा है, तो यह अनुचित है। उन्होंने इसकी जल्द स्वीकृति की माँग की है।
कुल मिलाकर, यह नया अभयारण्य केवल पर्यावरणीय दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी एक अहम पहल साबित हो सकता है।
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