Waqf Bill Controversy
नई दिल्ली। केंद्र सरकार आज संसद में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश करने जा रही है, जिसमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में बड़े बदलाव किए जाने का प्रस्ताव है। इस विधेयक के तहत वक्फ बोर्ड में महिलाओं और गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के प्रावधान के साथ-साथ विवादित संपत्तियों के निपटारे का अधिकार वक्फ ट्रिब्यूनल से हटाकर जिला कलेक्टरों को देने का प्रस्ताव किया गया है। इस विधेयक का विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने कड़ा विरोध किया है।
विधेयक के प्रमुख बिंदु
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों और महिलाओं की भागीदारी अनिवार्य की जाएगी।
- वक्फ संपत्तियों के विवाद अब जिला कलेक्टर द्वारा निपटाए जाएंगे, न कि वक्फ ट्रिब्यूनल द्वारा।
- बोहरा समुदाय और आगा खान समुदाय के लिए अलग बोर्ड बनाने का प्रस्ताव।
- सरकार का तर्क है कि वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए यह आवश्यक है।
- वक्फ द्वारा यूज के कंसेप्ट को खत्म किया जाएगा, जिससे बिना दस्तावेज के वक्फ संपत्ति घोषित नहीं की जा सकेगी।
Waqf Bill Controversy
मुस्लिम संगठनों और विपक्ष का विरोध
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) सहित कई मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक को संविधान पर हमला बताया है। उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड मुस्लिमों के धार्मिक मामलों से जुड़ा है और उसमें किसी बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
विपक्षी दलों ने इसे मुस्लिम संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लेने की साजिश बताया है। AIMPLB का कहना है कि धारा 40 को हटाने से वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर नियंत्रण कम होगा और सरकार का हस्तक्षेप बढ़ जाएगा।
सरकार का पक्ष
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू का कहना है कि यह विधेयक वक्फ अधिनियम, 1995 को संशोधित कर आधुनिक और पारदर्शी बनाने के लिए लाया जा रहा है। सरकार का तर्क है कि यह वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और भ्रष्टाचार खत्म करने में मदद करेगा।
Waqf Bill Controversy
क्या है वक्फ?
वक्फ मुस्लिमों द्वारा धार्मिक या धर्मार्थ उपयोग के लिए दान की गई संपत्तियों को कहा जाता है, जो निजी स्वामित्व से बाहर होती हैं और बेची नहीं जा सकतीं। भारत में वक्फ बोर्ड के पास 9.4 लाख एकड़ भूमि है, जो रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद तीसरी सबसे बड़ी भूमि स्वामित्व वाली संस्था है।
अब क्या होगा?
बिल के लोकसभा में पेश होने के बाद चर्चा और मतदान होगा। यदि इसे संसद में मंजूरी मिलती है, तो यह कानून बन जाएगा। देखना दिलचस्प होगा कि इस पर विपक्ष क्या रणनीति अपनाता है और सरकार इस विरोध को कैसे संभालती है।