Waqf Amendment Bill
नई दिल्ली। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में सोमवार को ‘वक्फ बचाव अभियान’ के तहत देशभर के मुस्लिम संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए संशोधित वक्फ कानून के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन किया। इस आयोजन का नाम ‘तहफ्फुज-ए-औकाफ कारवां’ रखा गया था, जिसमें असदुद्दीन ओवैसी, RJD सांसद मनोज झा, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और SP सांसद मोहिबुल्लाह नदवी सहित कई राजनीतिक और सामाजिक नेता शामिल हुए।
बता दें कि इस अभियान का नेतृत्व ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) कर रहा है और यह 11 अप्रैल से 7 जुलाई तक चलेगा। इस दौरान देशभर से 1 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर एकत्रित किए जाएंगे, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा जाएगा।
Waqf Amendment Bill
इस आयोजन में प्रमुख मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने भी भाग लिया और अपनी केंद्रीय परिषद की बैठक में वक्फ कानून को तुरंत रद्द करने की मांग की। साथ ही, उन्होंने समान नागरिक संहिता (UCC) के विरोध में भी प्रस्ताव पारित किया। संगठन ने इसे धार्मिक समुदायों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया और उत्तराखंड व गुजरात जैसे राज्यों में इसे लागू करने के प्रयासों की निंदा की।
वहीं, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह स्पष्ट किया है कि 5 मई तक कोई वक्फ संपत्ति गैर-अधिसूचित नहीं की जाएगी, और न ही किसी नई नियुक्ति की जाएगी। यह रियायतें सुप्रीम कोर्ट में दायर उन याचिकाओं के संदर्भ में दी गई हैं, जो संशोधित वक्फ कानून के खिलाफ दायर की गई हैं।
Waqf Amendment Bill
बता दें कि वक्फ शब्द का अर्थ है किसी संपत्ति को धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए दान करना। परंपरागत रूप से वक्फ संपत्तियाँ मस्जिद, स्कूल, कब्रिस्तान या अस्पताल जैसी संस्थाओं के लिए समर्पित की जाती हैं।
संशोधित कानून में अब यह साफ किया गया है कि जब तक कोई संपत्ति विधिवत वक्फ को दान नहीं की जाती, वह वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी, चाहे उस पर मस्जिद क्यों न बनी हो। साथ ही, वक्फ बोर्ड में महिलाओं और अन्य धर्मों के लोगों को भी शामिल करने का प्रावधान जोड़ा गया है।
इस प्रदर्शन ने देशभर में मुस्लिम समुदाय के भीतर संशोधित वक्फ कानून को लेकर बढ़ती चिंताओं को प्रमुखता से सामने रखा है, तो वहीं आने वाले समय में इस मुद्दे पर सरकार और समाज के बीच बड़ी बहस की संभावना है।