Ustad Zakir Hussain Death
नई दिल्ली। दुनियाभर में शास्त्रीय संगीत में भारत को अलग पहचान दिलाने वाले उस्ताद और मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया है। उनके परिवार ने इस खबर की पुष्टि की है। मिली जानकारी के मुताबिक जाकिर हुसैन ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में आखिरी सांस ली।
जाकिर हुसैन हाई ब्लड प्रेशर के मरीज थे। जिसके चलते उन्हें दिल से जुड़ी समस्याएं पैदा हुईं। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां हार्ट से जुड़ी समस्याओं के कारण उनकी मौत हो गई। जाकिर हुसैन पिछले दो हफ्तों से अस्पताल में भर्ती थे। हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया था।
Ustad Zakir Hussain Death
जाकिर हुसैन के निधन की खबर मिलने पर दुनियाभर में शोक की लहर दौड़ गई। कई दिग्गज लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक्स पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 में मुंबई में हुआ था। उन्होंने महज 12 साल की उम्र में संगीत की दुनिया में कदम रख लिया था। छोटी उम्र से ही उन्होंने तबले की आवाज से जादू बिखेरना शुरू कर दिया था। उन्होंने 1973 में उनका पहला एलबम लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड आया था। 1979 से लेकर 2007 तक जाकिर हुसैन कई अंतरराष्ट्रीय समारोहों और एलबमों में अपने तबले का दम दिखाया।
Ustad Zakir Hussain Death
सम्मान और पुरस्कार
जाकिर हुसैन को केवल 37 साल की उम्र में 1988 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उसके बाद 2002 में संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण का पुरस्कार दिया गया था। 22 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। जाकिर हुसैन को 1992 और 2009 में संगीत का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ग्रैमी अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) क्या है?
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। आप सांस लेते हैं तो ऑक्सीजन हमारे फेफड़ों में छोटी-छोटी हवा की थैलियों से होते हुए खून में जाता है और फिर यहां से शरीर के सभी अंगों को मिलता है। लेकिन आईपीएफ होने पर फेफड़ों के भीतर निशान ऊतक बढ़ने लगते हैं। जिससे सांस लेना मुश्किल होने लगता है। उम्र के साथ ये समस्या और भी खराब होने लगती है।
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