unique traditions of madhya pradesh
मध्यप्रदेश की गोंड जनजाति में एक अजीब और अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है, जिसे ‘दूध लौटावा’ कहा जाता है। यह प्रथा खास तौर पर गोंड जनजाति के बीच प्रचलित है, और इसमें मामा-बुआ के बच्चों के बीच विवाह करना सामान्य माना जाता है।
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गोंड जनजाति में यह परंपरा बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें एक भाई की बेटी और बहन के बेटे, या फिर भाई के बेटे और बहन की बेटी के बीच विवाह होते हैं। इसे “दूध लौटावा” विवाह कहा जाता है, जो इस विचार को दर्शाता है कि यह शादी रिश्तों की मजबूती और परिवार के बीच स्नेह को प्रकट करती है। इसके पीछे की सोच यह होती है कि मामा-बुआ के बच्चों के बीच विवाह से पारिवारिक संबंध और भी गहरे होते हैं, और यह समाज में एक तरह से रिश्तों का आदान-प्रदान भी सुनिश्चित करता है।
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यह प्रथा मध्यप्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में काफी प्रचलित है, खासकर गोंड समुदाय में। इस विवाह परंपरा को एक ओर दिशा में देख सकते हैं, जहां पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है, लेकिन यह समाज में आधुनिकता के साथ तालमेल भी बैठाती है। इसके अलावा, गोंड जनजाति में विधवा विवाह और बहु विवाह की परंपरा भी बहुत आम है, जो समाज में रिश्तों की लचीलापन और आदान-प्रदान को दर्शाती है।
मध्यप्रदेश की आदिवासी जनजातियों में अन्य कई दिलचस्प परंपराएं हैं, जैसे घोटुल, डोल जतरा, और लमसेना विवाह, जो आदिवासी जीवनशैली की विशिष्टता और उनकी सांस्कृतिक पहचान को साफ तौर पर प्रदर्शित करती हैं। इन परंपराओं के माध्यम से हम देख सकते हैं कि इन समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर और उनके समाजिक मूल्य कितने अनोखे हैं।
इस तरह की परंपराएं केवल सामाजिक जीवन का हिस्सा नहीं होतीं, बल्कि ये एक गहरे सांस्कृतिक संदेश को भी प्रकट करती हैं, जो समाज में रिश्तों की गहराई और परिवार के महत्व को दर्शाती हैं। गोंड जनजाति की “दूध लौटावा” प्रथा एक ऐसे उदाहरण के रूप में खड़ी है, जहां विवाह के परंपरागत रूपों को पारिवारिक मूल्य और सामूहिक संबंधों की मजबूती के रूप में देखा जाता है।
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