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Ujjain Mahakal Holi : उज्जैन महाकाल मंदिर में इस बार नहीं मनेगी पारंपरिक होली, सिर्फ हर्बल रंगों से होगी पूजा

Ujjain Mahakal Holi

उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में इस बार रंगों की होली नहीं खेली जाएगी। मंदिर प्रशासन ने फैसला लिया है कि इस साल रंगपंचमी के अवसर पर भगवान महाकाल को केवल प्रतीकात्मक हर्बल रंग चढ़ाया जाएगा। श्रद्धालु मंदिर में रंग-गुलाल लेकर नहीं आ सकेंगे।

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बता दें कि उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, हर साल होली और रंगपंचमी पर भव्य उत्सव का केंद्र रहता था। लेकिन इस बार मंदिर प्रशासन ने रंग-गुलाल के खुले प्रयोग पर रोक लगा दी है। अब केवल प्राकृतिक हर्बल रंगों का ही इस्तेमाल किया जाएगा, और श्रद्धालुओं को रंग और गुलाल लाने की अनुमति नहीं होगी।

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होली के दिन महाकाल मंदिर में लगी थी आग

यह फैसला 24 मार्च 2024 को हुई एक गंभीर घटना के बाद लिया गया है। गौरतलब है कि होली के दिन भस्म आरती के दौरान मंदिर के गर्भगृह में गुलाल उड़ाए जाने से अचानक आग लग गई थी। इस हादसे में 14 श्रद्धालु झुलस गए थे, और मंदिर प्रशासन को पूजा-अर्चना रोकनी पड़ी थी।

प्राथमिक जांच में यह सामने आया कि गुलाल में मौजूद रासायनिक तत्वों के कारण आग तेजी से फैल गई थी। इस घटना के बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया और इस साल से मंदिर में पारंपरिक रंगों से होली खेलने पर रोक लगा दी।

अब कैसे मनेगी रंगपंचमी?

रंगपंचमी के दिन महाकाल मंदिर में रंगोत्सव की विशेष परंपरा रही है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान को गुलाल और अबीर अर्पित करते थे। लेकिन इस बार:

Ujjain Mahakal Holi

मंदिर प्रशासन ने बताया कि टेसू (पलाश) के फूलों से बने हर्बल रंग से भगवान का अभिषेक होगा। इससे धार्मिक परंपरा भी निभाई जाएगी और सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

मंदिर समिति ने यह निर्णय श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया है। अधिकारियों का कहना है कि रासायनिक रंगों के कारण आग लगने जैसी घटनाएं भविष्य में न हों, इसके लिए यह कदम उठाना जरूरी था।

महाकाल मंदिर के पुजारी ने कहा—

“भगवान की सेवा और भक्तों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। इस फैसले से कोई परंपरा नहीं टूटेगी, बल्कि इसे और शुद्ध और सुरक्षित बनाया जा रहा है।”

Ujjain Mahakal Holi

श्रद्धालुओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया

महाकाल मंदिर में हर साल रंगपंचमी पर गुलाल उड़ाने की परंपरा रही है। लेकिन इस बार इसे सुरक्षा कारणों से बदला गया है।

क्या यह परंपरा स्थायी रूप से बदलेगी?

अभी तक मंदिर प्रशासन ने स्थायी प्रतिबंध को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है। यह फैसला फिलहाल इस साल के लिए लागू किया गया है। आने वाले वर्षों में सुरक्षा इंतजामों के आधार पर इस पर फिर से विचार किया जाएगा।

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