Tirupati Laddu Controversy
तिरुपति। भारत के विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलावटी लड्डू प्रसादम में बीफ और सूअर की चर्बी और मछली के तेल मिलाने का बवाल अब तक शांत नहीं हुआ है। इस मामले में एक के बाद एक नए फैक्ट सामने आने पर देशभर में इस घटना से बड़ा आक्रोश देखने के लिए मिल रहा है।
तो वहीं इन सब विवादों के बीच ही आज सोमवार को टीटीडी (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम) ने लड्डू प्रसादम विवाद के मद्देनजर एक महा शांतिहोम का आयोजन किया है। इस दौरान टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी शमाला राव और बोर्ड के अन्य अधिकारियों ने पुजारियों के साथ होम में भाग लिया है।
इस होम का आयोजन श्रीवारी (श्री वेंकटेश्वर) मंदिर में बंगारू बावी (स्वर्ण कुआं) यज्ञशाला (अनुष्ठान स्थल) में हो रहा है। बता दें, लड्डू विवाद से मंदिर पर कई सवाल उठ रहे है। इस अनुष्ठान का उद्देश्य विवाद के बाद मंदिर की शुद्धता और भक्तों की आस्था को पुनर्स्थापित करना है।
आंध्रप्रदेश सरकार का ट्रस्ट है टीटीडी
बता दें कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी ) भारत में एक स्वतंत्र सरकारी ट्रस्ट है, जिसका प्रबंधन आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता है । वहीं पर इसका मुख्यालय आंध्र प्रदेश में तिरुमाला , तिरुपति में है। ट्रस्ट मुख्य रूप से सबसे अमीर और सबसे अधिक देखे जाने वाले धार्मिक केंद्र वेंकटेश्वर मंदिर, तिरुमाला के संचालन और वित्त की देखरेख करता है।
लड्डू विवाद का असर
लड्डू प्रसादम में मिलावट का मामला सार्वजनिक होने के बाद से देशभर में भक्तों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस विवाद ने मंदिर की प्रतिष्ठा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आंध्रप्रदेश सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए मंदिर के शुद्धिकरण की प्रक्रिया शुरू की है और मामले की जांच के लिए आईजीपी स्तर पर आदेश दिए हैं। वहीं इस विवाद को ध्यान में रखते हुए आंध्रप्रदेश सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले किये हैं।
इनमें से एक यह है कि मंदिर की प्रबंधन समिति में केवल वे लोग रहेंगे, जिनकी भगवान के प्रति सच्ची आस्था होगी। इसके अलावा, सभी मंदिरों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) बनाई जाएगी, जिसे अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। यह निर्णय यह सुनिश्चित करेगा कि फिर से भविष्य में ऐसी कोई भी स्थिति उत्पन्न न हो।
नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने किया कंफर्म
बता दें कि लड्डू में बीफ की चर्बी और फिश ऑयल होने का नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने भी कंफर्म किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रसाद के तौर इन लड्डुओं का वितरण न केवल श्रद्धालुओं के बीच किया गया, बल्कि भगवान को भी प्रसाद के तौर पर यही लड्डू चढ़ाया जाता था।