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Thursday, August 14, 2025

Announcement of New Team : भाजपा की नई टीम का ऐलान…यहां देखिए पूरी List

रायपुर, 13 अगस्त। Announcement of New Team : भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव की नई टीम का ऐलान हो गया है। नई टीम...

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सरकार और किसान संगठन के बीच नही बनी सहमति, संसद सत्र बुलाने की मांग, 21 को दिल्ली कूच

नई दिल्ली. हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर किसान संगठन अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शन कर रहे है, इन मांगो को लेकर अब सरकार विचार कर रही है, मोदी सरकार ने किसानों की मांगों के मद्देनज़र एक प्रस्ताव दिया था, इस प्रस्ताव को किसानों ने ख़ारिज कर दिया है. किसान संगठनों और मोदी सरकार के बीच सुलह नहीं हो पाई हैं. सोमवार रात किसान संगठनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये जानकारी दी. पंजाब किसान मज़दूर संघर्ष कमिटी के नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा- हम 21 फ़रवरी को 11 बजे दिल्ली की तरफ़ बढ़ेंगे.

किसान संगठन की मांग है कि 23 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी दिया जाए, एमएसपी को क़ानूनी अधिकार बनाने की मांग की जा रही है. किसान चाहते है कि एमएसपी पर कानून बनाने के लिए सरकार विशेष सत्र बुलाए. इनकी मांग है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को अमल में लाया जाए. किसानों और खेत मज़दूरों को पेंशन दी जाए. ऐसा होता है तो किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना मूल्य मिलेगा. यानी अगर खेती करने में किसान के 10 रुपये लग रहे हैं तो वो चाहते हैं कि उन्हें फसल बेचने पर 15 रुपये मिलें. इसके अलावा लखीमपुर खीरी मामले में दोषियों को सज़ा देने की मांग भी किसान कर रहे हैं.

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केंद्र सरकार ने दिया ये प्रस्ताव

केंद्र सरकार ने पाँच फसलों पर एमएसपी देने का प्रस्ताव दिया था. इस प्रस्ताव के तहत किसानों को सरकारी एजेंसियों के साथ पाँच साल का करार करना था. किसानों को दिए प्रस्ताव के बारे में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, पैनल ने किसानों को एक समझौते का प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत सरकारी एजेंसियां उनसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पाँच साल तक दालें, मक्का और कपास ख़रीदेंगी.

हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर किसान संगठन अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शन कर रहे है
हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर किसान संगठन अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शन कर रहे है

मंत्री गोयल ने कहा कि नेशनल कोऑपरेटिव कंज़्यूमर्स फ़ेडरेशन (एनसीसीएफ़) और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फे़डरेशन ऑफ़ इंडिया (नेफ़ेड) जैसी कोऑपरेटिव सोसाइटियां उन किसानों के साथ समझौता करेंगी, जो तूअर, उड़द, मसूर दाल या मक्का उगाएंगे. फिर उनसे अगले पांच साल तक एमएसपी पर फसलें ख़रीदी जाएंगी. यह प्रस्ताव भी दिया गया है कि कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया के माध्यम से किसानों से पांच साल तक एमएसपी पर कपास की ख़रीद की जाएगी.

सरकार ने अपने प्रस्ताव में कपास की खेती को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए पंजाब के किसानों से कहा, ख़रीद की मात्रा की कोई सीमा नहीं होगी और इसके लिए एक पोर्टल तैयार किया जाएगा, सरकार के प्रस्ताव से पंजाब के भूमिगत जलस्तर में सुधार होगा और पहले से ही ख़राब हो रही ज़मीन को बंजर होने से रोका जा सकेगा.

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सरकार के प्रस्ताव पर किसानों का रुख़
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, ये जो प्रस्ताव आया है, वह किसानों के पक्ष में नहीं है. हम इस प्रस्ताव को रद्द करते हैं, हमारी सरकार बाहर से एक लाख 75 हजार करोड़ रुपये का पाम तेल मंगवाती है. वो सभी लोगों के बीमारी का कारण भी बन रहा है, फिर भी उसे मंगवाया जा रहा है. अगर यही पैसा देश के किसानों को तेल, बीज फसलें उगाने के लिए और उनके ऊपर एमएसपी की घोषणा करे और ख़रीद की गारंटी दे, तो उस पैसे से काम चल सकता है.

हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर किसान संगठन अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शन कर रहे है
हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर किसान संगठन अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शन कर रहे है

किसान संगठन का आरोप

किसान संगठन का कहना है कि अगर सभी फसलों पर एमएसपी दे दिया जाए तो भी सरकार के डेढ़ लाख करोड़ रुपये ही लगेंगे, हमारी मांग वही है कि सरकार 23 फसलों पर एमएसपी गारंटी क़ानून बनाकर दे, किसानों ने आरोप लगाया है कि जब हम केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ बैठक के लिए जाते हैं, तो वे तीन-तीन घंटे देरी से आते हैं जो कि ठीक बात नहीं है.

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