बिलासपुर, 13 अक्टूबर। Tender Scam in Bilaspur : आदिवासी विकास विभाग, बिलासपुर में छात्रावासों की मरम्मत के लिए जारी किए गए 82.99 लाख रुपये के टेंडर को बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आने के बाद कलेक्टर संजय अग्रवाल ने तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। जांच में निविदा प्रक्रिया में नियमों के उल्लंघन और पक्षपात की पुष्टि हुई है।
चार अगस्त को जारी हुई थी टेंडर प्रक्रिया
चार अगस्त को आदिवासी विकास विभाग द्वारा कोटा, बिलासपुर, तखतपुर और मरवाही क्षेत्रों में स्थित 16 प्री-मैट्रिक छात्रावासों और आश्रमों के जीर्णोद्धार हेतु निविदा आमंत्रित की गई थी। इस प्रक्रिया में अनियमितता की शिकायत मिलने पर प्रशासन ने जांच बैठाई।
रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने का आरोप
शिकायत में यह आरोप लगाया गया कि विभाग के एक लिपिक ने अपने रिश्तेदारों और करीबियों को ठेके दिलाने के उद्देश्य से नियमों की अनदेखी की। जांच में सामने आया कि कई ठेकेदारों के पास पर्याप्त वैध दस्तावेज नहीं थे, फिर भी उन्हें निविदा में शामिल कर लिया गया।
तकनीकी खामियां आईं सामने
जांच के दौरान कई गंभीर लापरवाहियां पाई गईं, जिनमें शामिल हैं, श्रमिकों के बीमा और ईपीएफ से जुड़े प्रावधानों का पालन नहीं किया गया। कई ठेकेदारों का सिर्फ नाममात्र का पंजीकरण था, लेकिन उनके द्वारा श्रमिकों की बीमा राशि जमा नहीं की गई थी। फर्जी या अधूरे दस्तावेज जमा करने के बावजूद उनके आवेदन स्वीकार किए गए।
कलेक्टर ने की सख्त कार्रवाई, नई निविदा की तैयारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर संजय अग्रवाल ने सहायक आयुक्त पीसी लहरे को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए और संपूर्ण निविदा प्रक्रिया को निरस्त कर दिया। साथ ही, नई निविदा प्रक्रिया की तैयारी शुरू कर दी गई है, जिसमें पारदर्शिता और नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
स्वतंत्र जांच समिति पर विचार
प्रशासन इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए स्वतंत्र जांच समिति गठित करने पर विचार कर रहा है, ताकि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सके। 82.99 लाख की यह निविदा गड़बड़ी की भेंट चढ़ गई, लेकिन प्रशासन की तत्परता से अनियमितताओं पर समय रहते रोक लग गई है। अब देखना होगा कि जांच में दोषी कौन निकलते हैं और आगे की कार्रवाई किस दिशा में जाती है।