नई दिल्ली. हिमाचल में तीन दिनों से चल रहा सियासी हलचल का संकट अब टल गया है, अब तक नाराज दिख रहीं हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू साथ नजर आए, दोनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ने का ऐलान किया, इस दौरान 6 सदस्यों की समन्वय समित बनाने का भी ऐलान किया.
पार्टी आलाकमान की तरफ से शिमला भेजे गए कांग्रेस के संकटमोचक माने जाने वाले डीके शिवकुमार ने कहा कि हमने कांग्रेस के सभी विधायकों से बात की. सारे मतभेद दूर हो गए हैं. हम सरकार और पार्टी संगठन में समन्वय समिति बना रहे हैं. इसका एलान दिल्ली से किया जाएगा. सभी एकजुट हैं.

वहीं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि जो राज्यसभा का चुनाव हुआ, पार्टी को अफसोस है कि पार्टी ने एक सीट खो दी. सारे विधायकों से सहमति बनी है. आगे से एक होकर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे, उन्होंने कहा, कॉर्डिनेशन कमिटी बनाई जाएगी. जिसमें 6 लोग होंगे. सीएम, डिप्टी सीएम, पीसीसी अध्यक्ष और तीन अन्य लोग होंगे. इनका काम होगा आपस में सहमति बनाना. कोई बयानबाजी नहीं करेगा. यहां बीजेपी का ऑपरेशन लोटस नहीं चलेगा.
क्या सुक्खू बने रहेंगे सीएम?
सुखविंदर सिंह सुक्खू के सीएम बने रहने के सवाल पर डीके शिवकुमार ने कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार है और सुक्खू सीएम हैं. वहीं हुड्डा ने कहा कि ये काल्पनिक सवाल है. हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की प्रमुख प्रतिभा सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव हमारी अगली चुनौती है. राज्यसभा में मिली हार पर हमें दुख है. पार्टी पहले भी मजबूत थी और आज भी मजबूत है. हिमाचल की चारों लोकसभा सीट जीतेंगे. हम तालमेल चाहते हैं. समन्वय समिति में वरिष्ठ लोग होंगे.
वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बीजेपी पर वार करते हुए कहा बीजेपी किस बहुमत की बात कर रही है, षड्यंत्र के तहत मेरे इस्तीफे की झूठी खबर फैलाई गई. बागी विधायक हिमाचल की जनता का सामना नहीं कर पाएंगे. हमारी सरकार पांच साल चलेगी, उन्होंने कहा कि बीजेपी ओछी राजनीति कर रही है, सरकार गिराने की कोशिश कर रही है. जनता जवाब देगी. बागियों की गलती माफ की जा सकती है. वो कांग्रेस में आना चाहें तो स्वागत है. मेरी कमी रही कि मैं शराफत में रह गया.
बता दें कि हिमाचल में सियासी तापमान मंगलवार को उस समय बढ़ गया था जब राज्यसभा के चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई. कांग्रेस के छह विधायकों ने बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट किया. इसका परिणाम ये हुआ कि सत्ता में होने के बावजूद कांग्रेस के उम्मीदवार वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा.