रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई हुई, आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में बुधवार को 238 वीं सुनवाई हुई, इसमें रायपुर जिले में कुल 114 वीं जनसुनवाई हुई है, आयोग में प्रेम विवाह के मामलें में आयोग ने सुनवाई कि है और फैसला सुनाया कि बुजुर्ग मां की सेवा नहीं करने पर बच्चों का सम्पत्ति पर कोई अधिकार नही होगा.
(छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग) आवेदिका ने अनावेदिका के बेटे के साथ प्रेम विवाह किया है और अब जबरदस्ती सम्पत्ति में हक के लिए अनावेदिका से लड़ाई-झगडा कर रही है, आवेदिका व उसका पति अनावेदिका (सास) के साथ नहीं रहते है ना ही बुढी सास की सेवा करते हैं, यह प्रकरण औचित्यहीन होने के कारण नस्तीबध्द किया गया.
(छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग) आज के एक प्रकरण में अनावेदिका को लेकर नारी निकेतन की कर्मचारी उपस्थित हुई, इस प्रकरण में सुनवाई के दौरान पता चला था कि अनावेदिका के द्वारा आवेदिका के पति के घर जाकर अवैधानिक रूप से निवासरत् थी, जिसके कारण आवेदिका और उसकी 4 बेटियों का जीवन तबाह हो रहा था, अनावेदिका को समझाइश दिये जाने पर उसने अपना आदत व्यवहार सुधारने का आश्वासन दिया तथा अनावेदिका के पति ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया इस आधार पर अनावेदिका को उसके पति के साथ उसकी जिम्मेदारी पर भेजे जाने का निर्देश देकर नारी निकेतन तथा काउंसलर को 1 वर्ष की निगरानी किये जाने का निर्देश दिया गया ताकि अनावेदिका के द्वारा आवेदिका के घर पर दुबारा दखल बना दिया जाय.

(छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग) एक अन्य प्रकरण में अनावेदक के द्वारा बार-बार आयोग के निर्देश की अवहेलना व आवेदिका का चरित्र हनन किया गया आवेदिका के दो बच्चे एक पुत्र व एक पुत्री है, आवेदिका के पति की मृत्यु के बाद दोनो बच्चों के पालन-पोषण के लिए सम्पत्ति में कोई हिस्सा अनावेदक द्वारा नहीं दिया जा रहा है, अनावेदक की पूर्व स्व. पत्नी के नाम पर एक मकान बलौदाबाजार में स्थित है जिसमें आवेदिका व दोनो बच्चों के निवास की व्यवस्था किया जायेगा, इस हेतु आयोग की टीम मौके पर जाकर आवेदिका के दोनो बच्चों के नाम पर अनावेदक से स्टाम्प पर इकरारनामा करायेगी, इस हेतु थाना प्रभारी को पत्र लिखा जायेगा व आयोग की टीम द्वारा संपूर्ण कागजी कार्यवाही किया जाकर आयोग में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद अंतिम निर्णया लिया जायेगा.
(छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग) एक प्रकरण में अनावेदक के द्वारा की गई प्रताड़ना से तंग आकर आवेदिका अपने मायके में निवास कर रही है, अनावेदक को 12 हजार रू. वेतन मिलता है, अनावेदक ने आवेदिका को 5000 रू. महिना देने की बात कही व अनावेदक द्वारा आवेदिका का सारा सामान उसे वापस किया जायेगा, इस प्रकरण में काउंसलर की नियुक्ति की गई.