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SpaDeX Docking Status : ISRO का स्पेडेक्स मिशन इतिहास रचने को तैयार, 15 मीटर की दूरी पर डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन

SpaDeX Docking Status

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) मिशन अंतरिक्ष में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है। इस मिशन के तहत दो उपग्रह, SDX01 (चेसर) और SDX02 (टार्गेट), अंतरिक्ष में 15 मीटर की दूरी तक पहुंच चुके हैं, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मिशन का मुख्य उद्देश्य डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना है, जिससे भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में ऑर्बिट में सर्विसिंग और रीफ्यूलिंग की क्षमता प्राप्त की जा सकेगी।

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यह मिशन 30 दिसंबर 2024 को श्रीहरिकोटा के आंध्र प्रदेश से PSLV-C60 रॉकेट द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। इसके बाद, 11 जनवरी को चेसर और टार्गेट उपग्रहों के बीच की दूरी 230 मीटर से घटकर 15 मीटर रह गई है। ISRO के लिए यह मिशन भारत के भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रयान-4 जैसे अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हो सकता है।

SpaDeX Docking Status

स्पेडेक्स मिशन में, चेसर उपग्रह टार्गेट को पकड़ने और डॉकिंग करने के लिए एक रोबोटिक आर्म का उपयोग करेगा, जो हुक के जरिए टेथर्ड तरीके से काम करेगा। यह तकनीक भविष्य में इसरो को ऑर्बिट में विभिन्न सैटेलाइट्स की सर्विसिंग और रीफ्यूलिंग के लिए एक नई दिशा दे सकती है,

साथ ही इससे सैटेलाइटों को पुनः कक्षा में लाने की क्षमता भी मिल सकती है। यह मिशन अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो ISRO के भविष्य के मिशनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

ISRO का यह मिशन भारत को अंतरिक्ष तकनीकी क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा। अगर स्पेडेक्स मिशन सफल होता है, तो भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जो स्पेस डॉकिंग तकनीक का उपयोग कर रहा है। इससे पहले केवल अमेरिका, चीन और रूस के पास यह तकनीक थी।

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स्पेस डॉकिंग तकनीक का महत्व तब बढ़ता है जब एक ही मिशन के दौरान विभिन्न रॉकेटों की आवश्यकता होती है, जैसे कि उपग्रहों की लॉन्चिंग, उनका मैन्युअल रूप से या रोबोटिक प्रणाली के द्वारा जोड़ना, और फिर उनके बीच संपर्क स्थापित करना। इसका मुख्य उद्देश्य मिशनों के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त रॉकेट लॉन्च की जरूरत को कम करना है, जिससे लागत और संसाधनों की बचत होती है।

भारत के लिए यह उपलब्धि इसरो की तकनीकी क्षमता और अंतरिक्ष अनुसंधान में नवाचार को दर्शाती है। अगर यह मिशन सफल रहता है, तो यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर होगा, जिससे अंतरिक्ष क्षेत्र में उसकी स्थिति और मजबूत होगी।

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