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Tuesday, June 17, 2025

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sex workers protest : कोलकाता रेप-मर्डर केस में सोनागाछी की महिलाओं ने दुर्गा प्रतिमा के लिए मिट्टी देने से किया इनकार

sex workers protest

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। अपराध को छुपाने की कोशिश और ममता बनर्जी प्रशासन द्वारा दिखाई गई असंवेदनशीलता लोग सड़कों में उतर कर विरोध प्रदर्शन कर न्याय की मांग कर रहे है।

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देश भर में लोग जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, इस बीच खबर आ रही है देश के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया कोलकाता के सोनागाछी इलाके की सेक्स वर्कर ने अपने आंगन की मिट्टी देने से इनकार कर दिया है, जिसका इस्तेमाल बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा के लिए मूर्तियां बनाने में किया जाता है।

मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में सेक्स वर्कर के संगठन, दरबार महिला समन्वय समिति के एक पदाधिकारी के अनुसार, यह इनकार राज्य संचालित आर.जी. में एक जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के विरोध के रूप में किया गया है। परंपरा के अनुसार, देवी दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी का उपयोग किया जाता है ये वेश्यालय मिट्टी में मिला हुआ होता है।

sex workers protest

सेक्स वर्करों के संगठन दुर्बार महिला समन्वय समिति की एक पदाधिकारी ने कहा कि हम दुष्कर्म एवं हत्या के विरोध में अपने आंगन की मिट्टी नहीं दे रहे हैं। अक्सर दुष्कर्म पीड़ितों को न्याय नहीं मिलता। अब समय आ गया है कि हम इस मामले में अपनी आवाज बुलंद करें। इसलिए हमने विरोध स्वरूप अपने आंगन की मिट्टी देने से मना कर दिया है।

आप को बता दे कि कुछ दिनों पहले बंगाल के विभिन्न रेड लाइट इलाकों की सेक्स वर्करों ने कोलकाता रेप-हत्या की घटना के विरोध में रैलियां निकाली थीं। इस दौरान, राज्य के विभिन्न रेड-लाइट इलाकों की सेक्सवर्कर ने इस जघन्य अपराध के विरोध में रैलियां निकाली थीं। उनके सभी विरोध प्रदर्शनों में आम नारा था – “यदि आवश्यक हो, तो हमारे पास आओ, लेकिन किसी महिला के साथ बलात्कार मत करो।” साथ ही सेक्स वर्करों ने अपने सम्मान की लड़ाई को भी आगे ले जाने के लिए कहा है। सेक्स वर्करों का कहना है कि उन्हें दुर्गा पूजा में सिर्फ 4 दिनों के लिए सम्मान मिलता है। बाकी दिनों में उन्हें अपमान व तिरस्कार की भावना से देखा जाता है। इसलिए भी उन्होंने अपने आंगन की मिट्टी देने से मना कर दिया है। इन महिलाओं का कहना है कि समाज में उन्हें भी बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए।

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वही इस साल 23 जुलाई को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सामुदायिक दुर्गा पूजा के लिए मानदेय में बढ़ोतरी की घोषणा की थी, जिसे पिछले साल के 70,000 रुपये से बढ़ाकर प्रति पूजा कमिटी 85,000 रुपये कर दिया था। हालांकि, अब कई समितियों ने रेप-हत्या पीड़िता के लिए न्याय की मांग करने और राज्यभर में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए अनुदान स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है।

सेक्स वर्करों के आंगन की मिट्टी लेने के पीछे की मान्यता

मान्याताओं के अनुसार एक वेश्या मां दुर्गा की अनन्य भक्त थी। लेकिन वह समाज में अपने तिरस्कार से दुखी होकर मां दुर्गा की आराधना की। जिसके बाद मां दुर्गा ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिया और कहा कि जब तक हमारी मूर्ति में वेश्यालयों की मिट्टी नहीं होगी तब तक उस प्रतिमा में मेरा वास नहीं होगा। तभी से बंगाल में दुर्गा प्रतिमाओं में वेश्यालयों के आंगन की मिट्टी का प्रयोग किया जाता है।

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