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SC Decision on name Plate Controversy: यूपी और यूके सरकार को झटका, SC ने किस वजह से नेम प्लेट वाले आदेश पर लगाई रोक

SC Decision on name Plate Controversy

नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड सरकारों को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों की सरकारों के नेम प्लेट वाले निर्देश पर रोक लगा दी है। सरकारों ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित दुकानों के मालिकों को नेमप्लेट लगाने के लिए आदेश दिए थे जिस पर रोक लगा दी गई है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को इन निर्देशों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है।

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई याचिकाकर्ताओं ने नेमप्लेट के लगाने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। महुआ मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एस वीएन भट्टी की पीठ के समक्ष दलीलें रखीं। उन्होंने आदेश को विभाजनकारी और संविधान में दिए गए अधिकारों के खिलाफ बताया।

SC Decision on name Plate Controversy

सर्वाेच्च अदालत में आर्टिकल 15 (1) और आर्टिकल 17 का भी जिक्र हुआ। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने नेमप्लेट लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दिया है, जिससे कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित दुकानों के मालिकों को राहत मिली है।

देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र का उल्लंघन
जस्टिस एस वीएन भट्टी ने कहा कि सभी दुकान मालिकों के साथ अपने नाम वाली नेमप्लेट लगाने कि लिए अगर मजबूर करते हैं तो यह आदेश देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र का उल्लंघन करता है। ये संविधान के आर्टिकल 15 (1) और आर्टिकल 17 के तहत दिए गए अधिकारों का उल्लंघन हैं।

क्या कहता है आर्टिकल 15 (1) और 17 
आर्टिकल 15 (1)
इस आर्टिकल में धर्म, नस्ल,जाति, लिंग या जन्मस्थान या किसी के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ कोई भी भेदभाव नहीं किया जा सकता हैं।

आर्टिकल 17
यह आर्टिकल अस्पृश्यता के उन्मूलन के बारे में बताता है। आर्टिकल 17 में कहा गया है, “छुआछूत को खत्म कर दिया गया है और किसी भी रूप में ऐसा करने पर पाबंदी है। छुआछूत करना कानून के अनुसार दंडनीय अपराध है।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकार ने आदेश जारी कर कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों से अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने को कहा था। इसके अलावा मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी शासित उज्जैन नगर निगम ने  दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर नाम और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करने का शनिवार को निर्देश दिया था।

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