Sawan somvar vrat katha
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिन्दू शास्त्रों में सावन सोमवार की कथा का बड़ा ही महत्व है। मान्यता है कि सावन सोमवार की व्रत कथा के बिन सोमवार का व्रत अधूरा रहता है। क्योंकि इस कथा का पाठ करना बहुत ही उत्तम माना गया है। इस कथा के पाठ से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं और लोगों की मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं। सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय होता है, और इस महीने के हर सोमवार को विशेष रूप से पूजा और व्रत किया जाता है।
सावन सोमवार व्रत कथा के अनुसार, एक बार की बात है, एक गरीब ब्राह्मण था जो अपने परिवार के साथ बहुत कष्टों से जीवन यापन किया करता था। उसकी आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय थी। उसने सोचा कि उसकी समस्याओं का समाधान केवल भगवान शिव की कृपा से ही हो सकता है, इसलिए उसने सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखने का निर्णय करके ब्राह्मण ने पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ सोमवार के दिन उपवास किया और शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र और पुष्प अर्पित किए।
Sawan somvar vrat katha
उसने व्रत के दौरान भगवान शिव से प्रार्थना की कि उसकी दरिद्रता दूर हो और उसके परिवार को सुख-समृद्धि प्राप्त हो। सावन के सोमवार की पूजा के प्रभाव से ब्राह्मण की भक्ति और विश्वास से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसकी प्रार्थना स्वीकार की और उसकी दरिद्रता को दूर कर दिया। धीरे-धीरे ब्राह्मण की आर्थिक स्थिति सुधर गई और उसे अपने जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त हुई।
सावन सोमवार के व्रत से जुड़ी कथा
एक बार सावन के महीने में अनेक ऋषि क्षिप्रा नदी में स्नान कर उज्जैन के महाकाल शिव की अर्चना करने हेतु इकठ्ठा हुए। वहां अभिमानी वेश्या भी अपने कुत्सित विचारों से ऋषियों का धर्मभ्रष्ट करने चल पड़ी। किंतु वहां पहुंचने पर ऋषियों के तप बल के प्रभाव से उसके शरीर की सुगंध लुप्त हो गई। वह आश्चर्यचकित होकर अपने शरीर को देखने लगी। उसे लगा उसका सौंदर्य भी नष्ट हो गया। उसकी बुद्धि परिवर्तित हो गई। उसका मन विषयों से हट गया और भक्ति मार्ग पर बढ़ने लगा।
Sawan somvar vrat katha
उसने अपने पापों के प्रायश्चित हेतु ऋषियों से उपाय पूछा, वे बोले- ‘तुमने सोलह श्रृंगारों के बल पर अनेक लोगों का धर्मभ्रष्ट किया, इस पाप से बचने के लिए तुम सोलह सोमवार व्रत करो और काशी में निवास करके भगवान शिव का पूजन करो।’
वेश्या ने ऐसा ही किया और अपने पापों का प्रायश्चित कर शिवलोक पहुंची। ऐसा माना जाता है कि सोलह सोमवार के व्रत से कन्याओं को सुंदर पति मिलते हैं तथा पुरुषों को सुंदर पत्नी की प्राप्ति होती है। बारह महीनों में विशेष है श्रावण मास, इसमें शिव
की पूजा करने से प्रायः सभी देवताओं की पूजा का फल मिल जाता है।
सावन सोमवार का व्रत और पूजा भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। इस दिन विशेष रूप से शिवलिंग की पूजा और व्रत करके भक्त अपनी समस्याओं का समाधान और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं।
भगवान शिव के मंत्र
नम: शिव जी को प्रसन्न करना है तो इस मंत्र का जाप पूजन से पहले करें।
शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।
ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।
ॐ नम: शिवाय।
सावन के तीसरे सोमवार के दिन क्या करें –
सबसे पहले शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। इसके बाद सफेद चंदन से भगवान को तिलक लगाएं। अब शिवलिंग पर सफेद पुष्प, धतुरा, बेल-पत्र, भांग आदि अर्पित करें और दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करें। बेलपत्र चढ़ाते समय ध्यान रखें कि शिवलिंग पर हमेशा 3 पत्तों वाला बेलपत्र चढ़ाना चाहिए।