Sambhal Jama Masjid
संभल। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित ऐतिहासिक जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई को लेकर जारी विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने मस्जिद कमेटी को रमजान से पहले मस्जिद की बाहरी दीवारों की रंगाई-पुताई और लाइटिंग की अनुमति दे दी है, लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस प्रक्रिया के दौरान ढांचे को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
यह मामला तब शुरू हुआ जब जामा मस्जिद कमेटी ने प्रशासन से हर साल की तरह मस्जिद की रंगाई-पुताई और लाइटिंग की अनुमति मांगी, लेकिन प्रशासन ने इसे रोक दिया। इसके पीछे हिंदू पक्ष की आपत्ति थी। उनका तर्क था कि इस रंगाई-पुताई से मंदिर से जुड़े साक्ष्यों को मिटाने की कोशिश की जा सकती है, इसलिए इसे अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इस विवाद के कारण प्रशासन ने मस्जिद की मरम्मत पर रोक लगा दी।
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मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में लगाई गुहार
प्रशासन की इस रोक के खिलाफ 25 फरवरी को जामा मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कमेटी के वकील जाहिर असगर ने कोर्ट में दलील दी कि हर साल रमजान से पहले मस्जिद की रंगाई-पुताई होती आई है, लेकिन इस बार बेवजह रोक लगा दी गई है।
कोर्ट का फैसला
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने मस्जिद कमेटी के पक्ष को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने कहा कि मस्जिद कमेटी को रंगाई-पुताई की अनुमति दी जाती है,
लेकिन यह कार्य सिर्फ बाहरी दीवारों तक ही सीमित रहेगा और किसी भी संरचनात्मक हिस्से को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि रमजान के दौरान मस्जिद में लाइटिंग की जा सकती है, जिससे इबादत करने वालों को कोई परेशानी न हो।
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इस फैसले के बाद मस्जिद कमेटी ने संतोष जताया है और कहा कि वह कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए रंगाई-पुताई का कार्य पूरा करेगी। वहीं, हिंदू पक्ष की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
हालांकि, प्रशासन इस मामले में कड़ी निगरानी बनाए हुए है ताकि किसी भी तरह का विवाद दोबारा न उठे। बता दें कि यह फैसला धार्मिक स्थलों के रखरखाव और ऐतिहासिक महत्व के बीच संतुलन बनाने की कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया को दर्शाता है।