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Tuesday, June 17, 2025

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सबसे ज्यादा जेनेश्वरी दीक्षाएं देने वाले संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर ने ली समाधि, CG-MP में राजकीय शोक

रायपुर. संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ने छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी तीर्थ में समाधि ले ली. वे 3 दिनों के उपवास के बाद रात 2:30 बजे ब्रह्मलीन हुए. उनके समाधि लेने से पूरे जैन समाज में शोक की लहर है. वे कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे. कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब छत्तीसगढ़ पहुंचे थे तब आचार्य जी के दर्शन के लिए तीर्थ पहुंचे थे, उनकी समाधि का समाचार मिलने के बाद पीएम मोदी ने इसे अपूरणीय क्षति बताया है.

Jain Muni Vidyasagar Maharaj: जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने ली समाधि, तीन दिन उपवास के बाद हुए ब्रम्हलीन - Acharya Vidyasagar Maharaj Jain muni took Samadhi became a Brahmin after ...

बता दे कि सभी धर्मों में पूज्य रहे आचार्य श्री विद्यासागर जी का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सदलगा में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था. उनके बचपन का नाम विद्याधर था, उन्होंने 30 जून 1968 को अजमेर में मुनि दीक्षा ली और 22 नवंबर 1972 को उन्हें आचार्य पद मिला था, उन्हें आचार्य ज्ञान सागर जी ने दीक्षा दी थी.

बताया जाता है कि वे 24 घंटे में एक बार खड़े होकर हाथ की अंजुली बनाकर सीमित मात्रा में आहार लेते थे, सभी मौसम में लकड़ी के तखते पर सिर्फ रात्रि के समय एक करवट पर सोते थे. आचार्य विद्यासागर जी सम्पूर्ण विश्व में सबसे ज्यादा जेनेश्वरी दीक्षाएं देने वाले गुरु थे.

आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ने ली समाधि
आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ने ली समाधि

उन्होंने कई गौशालाएं बनावाईं, मूक पशुओं के प्रति भी उनके मन में दया प्रेम का भाव था, प्रदेश सरकार ने आचार्य श्री के नाम से गौशाला योजना भी चलाई. बालिकाओं की शिक्षा के लिए प्रतिभा स्थलियों का निर्माण आचार्य श्री की प्रेरणा से हुआ.

वही उनके माता पिता सहित सभी भाई बहिनों ने जैनीश्वरी दीक्षा ली थी. आचार्य विद्यासागर कन्नड़, हिंदी, संस्कृत के भाषा विशेषज्ञ तो थे ही, साथ ही उन्हें कई अन्य भाषाओं का ज्ञान भी था. वे हिंदी बोलने पर जोर देते थे और भारत को भारत बोलने की अपील करते थे.

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1968 से दिगंबर अवस्था में रहते हुए वे कभी वाहन पर नहीं बैठे. अनियत विहार यानी बिना बताए विहार करते थे. दही, शक्कर, नमक, तेल, फल, सूखे मेवे, हरी सब्जी पांच रसों सहित अंग्रेजी दवाओं का आजीवन त्याग किया था. कठोर ठंड में भी कभी चटाई भी नहीं ली. भौतिक संसाधनों सहित थूकने का त्याग किया.

छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में राजकीय शोक
आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के समाधि लेने पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार ने आधे दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया है, एमपी के सीएम मोहन यादव ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर जानकारी देते हुए लिखा कि परम पूज्य संत 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का समाधि पूर्वक देहविलय जैन समाज के साथ ही राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है, पवित्र आत्मा के सम्मान में राज्य सरकार द्वारा आधे दिन का राजकीय शोक रखा गया है. मध्यप्रदेश शासन की ओर से कैबिनेट मंत्री चैतन्य कश्यप, महाराज श्री की अंतिम यात्रा में सम्मिलित होंगे, उनका अंतिम संस्कार चन्द्रगिरि तीर्थ में होगा और इसके लिए जैन समाज के लोगों का डोंगरगढ़ में एकत्र हो रहा है.

वही छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने एक्स पर लिखा कि वर्तमान के वर्धमान कहे जाने वाले विश्व प्रसिद्ध दिगंबर जैन मुनि संत परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज जी आज ब्रह्मलीन हो गए, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पवित्र आत्मा के सम्मान में आज आधे दिन का राजकीय शोक रखा गया है, इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा तथा कोई राजकीय समारोह/कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जायेंगें.

प्रधानमंत्री ने बताया अपूरणीय क्षति
पीएम ने एक्स पर लिखा आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है, लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे, वे जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे, यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा, पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनसे हुई भेंट मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगी, तब आचार्य जी से मुझे भरपूर स्नेह और आशीष प्राप्त हुआ था, समाज के लिए उनका अप्रतिम योगदान देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा.

जैनमुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने ली समाधि, तीन दिन के उपवास के बाद चंद्रगिरी पर्वत पर त्यागा शरीर - ShreeKanchanpath
आचार्य श्री विद्यासागर से मिले थे प्रधानमंत्री

 

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