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Saina nehwal retirement: साइना नेहवाल ने लिया संन्यास लेने का फैसला, इस बिमारी से जुझ रही हैं बैडमिंटन स्टार

Saina nehwal retirement

नई दिल्ली। भारत को बैडमिंटन में ओलंपिक पदक दिलाने वाली पहली भारतीय सानिया नेहवाल इन दिनों बिमारी से गठिया (अर्थेराइटिस) बिमारी जूझ रही हैं। उन्होंने कहा कि उनका करियर अब आखिरी चरण में है। वह संन्यास के बारे में सोच रही हैं।

बता दें कि, साइना नेहवाल ने लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। इसके अलावा वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी उन्होंने भारत के लिए दो मेडल जीते हैं।

अर्थेराइटिस से जुझ रही बैडमिंटन स्टार

बैडमिंटन स्टार खिलाड़ी साइना नेहवाल ने हाल ही में खुलासा किया हैं कि वे गठिया (अर्थेराइटिस) बिमारी से जूझ रही हैं। इस बिमारी के कारण उनके लिए रोज घंटो प्रैक्टिस करना बहुत मुश्किल होता हैं। इसलिए इस साल के अंत का अपने खेल के भविष्य के बारे में फैसला कर सकती हैं। बता दें कि साइना नेहवाल पहली भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने 2012 के लंदन ओलंपिक में महिला सिंगल्स बैडमिंटन में कांस्य पदक जीतकर भारत को गौरवान्वित किया।

2012 में लंदन ओलंपिक में महिला सिंगल्स में कांस्य पदक जीता

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बिमारी के कारण सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को चुनौती देना मुश्किल

पेरिस ओलंपिक में भारतीय दल के नेता और  दिग्गज निशानेबाज गगन नारंग के ‘हाउस ऑफ ग्लोरी’ पॉडकास्ट में बातचीत को दौरान साइना नेहवाल ने कहा कि “मेरा घुटना ठीक नहीं है। मुझे गठिया है। मेरा कार्टिलेज खराब हो गया है। ऐसे में आठ-नौ घंटे तक खेल के लिए ट्रेनिंग लेना बहुत मुश्किल होगा। ऐसी हालत में आप दुनिया के सबसे अच्छे खिलाड़ियों को कैसे चुनौती देंगे। मुझे किसी न किसी स्तर पर इसे स्वीकार करना होगा क्योंकि टॉप खिलाड़ियों के खिलाफ रिजल्ट हासिल करने के लिए दो घंटे की प्रैक्टिस नहीं है”।

साइना नेहवाल ने तीन ओलंपिक में लिया भाग

साइना नेहवाल ने अपनी करियर में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी का दर्जा प्राप्त किया और 2010 और 2018 के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक भी जीते। उन्होंने कहा कि, “ओलंपिक में हिस्सा लेना हर खिलाड़ी का सपना होता है और इसके लिए आप कई सालों तक मेहनत करते हैं। जब आप महसूस करते हैं कि आप खेल नहीं पा रहे हैं, तो यह बहुत दुख होता है। यह नहीं कि आप खेलना नहीं चाहते, बल्कि आपका शरीर कहता है कि आप फिट नहीं हैं और आपको चोटें आ गई हैं। बावजूद इसके, मैंने अपनी पूरी कोशिश की। मैंने तीन ओलंपिक खेलों में भाग लिया और हर बार 100% दिया। इस पर मुझे गर्व है और मैं खुश महसूस करती हूं।”

 

 

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