Registration For Amarnath Yatra 2024
जम्मू। बाबा बर्फानी के भक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी है। अमरनाथ की यात्रा 29 जून से शुरू होने वाली है। इस बार यह यात्रा 19 अगस्त तक चलेगी। 2023 में 1 जुलाई से यात्रा शुरू हुई थी। इस बार यात्रा 52 दिन की रहेगी। इसके लिए रजिस्ट्रेशन 15 अप्रैल यानी आज से शुरू हो गए हैं। ऐसा कहा जाता है कि बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा में भगवान शिव ने माती पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी।
13 से 70 साल की उम्र तक के भारतीय नागरिक अमरनाथ यात्रा कर सकते हैं। यात्रा के लिए जरूरी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने की प्रक्रिया चल रही है।
रजिस्ट्रेशन कैसे करें
आप 15 अप्रैल से ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से यात्रा में जाने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए श्राइन बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट पर लॉग इन कर सकते हैं।
अगर मोबाइल एप्लिकेशन से रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो श्री अमरनाथजी यात्रा ऐप डाउनलोड करनी होगी। वहीं, पंजाब नेशनल बैंक, एसबीआई, यस बैंक और जम्मू और कश्मीर बैंक से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
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Registration For Amarnath Yatra 2024
अमरनाथ यात्रा दो मार्गों से होती है। एक मार्ग अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा नुनवान-पहलगाम मार्ग है, जबकि दूसरा गांदेरबल जिले में 14 किलोमीटर लंबा बालटाल मार्ग।
दरअसल, श्रीनगर से 141 किमी दूर स्थित अमरनाथ की पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए हर साल देश से लाखों भक्त बर्फानी बाबा के दर्शन करने आते है। भक्त जुलाई-अगस्त (हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह) में श्रावणी मेले के दौरान ‘बाबा बर्फानी’ का दर्शन और पूजा करने के लिए मंदिर के पवित्र गुफा में जाते हैं, जो पूरे वर्ष में एकमात्र समय होता है, जब अमरनाथ गुफा तक पहुंचा जा सकता है।
पिछली बार लगभग 4.50 लाख श्रद्धालु आए थे। इस बार 6 लाख यात्रियों के आने की संभावना जताई गई है। यात्रा कम दिनों की है और भीड़ ज्यादा रहेगी, इसलिए इंतजाम भी ज्यादा किए जा रहे हैं। पूरे रूट पर खानपान, रुकने और हेल्थ चेकअप के लिए व्यवस्था होगी। ऑक्सीजन बूथ, आइसीयू बेड, एक्स रे, सोनोग्राफी मशीन और लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट से लैस दो कैंप अस्पताल बनाये जा रहे है।
Registration For Amarnath Yatra 2024
यात्रा के दौरान इन बातों का ध्यान रखें
यात्रा के दौरान मेडिकल सर्टिफिकेट, 4 पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, आरएफआईडी (RFID) कार्ड, ट्रैवल एप्लिकेशन फॉर्म अपने साथ रखें।
-अपने पास पर्याप्त कपड़े तो रखे ही साथ ही एक छोटी छतरी भी रखें जो सिर इलास्टिक के साथ बंधी हो।
-मौसम अचानक से बदल सकता है इसलिए विंजचीटर, रेनकोट, वाटरप्रूफ ट्रेकिंग कोट, टॉर्च, मंकी कैप, ग्लव्स, जैकेट, ऊनी जुराब, वाटरप्रूफ पजामा अपने साथ रखें।
-साड़ी में पैदल यात्रा करना मुश्किल होता है इसलिए महिलाओं को सलवार कमीज या पेंट शर्ट या ट्रेक सूट पहन कर यात्रा करने की सलाह दी जाती है।
-यात्रियों को अपने पास बिस्कुट, टॉफी या डिब्बाबंद भोजन रखने की सलाह दी जाती है ताकि भोजन की छोटी-मोटी जरूरत को तुरंत पूरा किया जा सके।
– अमरनाथ श्राइन बोर्ड के द्वारा बताए गए सभी नियम कायदों का कड़ाई से पालन करें।
-अपने साथ जरूरी दवाइयां जैसे एसपिरिन और पेन किलर साथ रखें ताकि इमरजेंसी में इनका इस्तेमाल किया जा सके।
-यात्रा में कड़े शारीरिक बल का इस्तेमाल करना पड़ता है इसलिए चुस्त या टाइट कपड़े न पहने ढीले और आरामदायक कपड़े पहन कर ही यात्रा करें।
यात्रा के दौरान ये चीजें न करें
-यात्रा के कई स्थानों पर चेतावनी लिखी होती है। इन स्थानों पर बिल्कुल भी न रूकें।
-स्लिपर या चप्पल पहन कर यात्रा न करें क्योंकि यात्रा का रास्ता उबड़-खाबड़ हो सकता है और बारिश के कारण फिसलन बढ़ सकती है केवल ट्रेकिंग शूज पहन कर ही यात्रा करें।
-किसी भी तरह के शॉर्टकट का इस्तेमाल न करें यह खतरनाक हो सकता है।
-यात्रा के दौरान पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि से बचें।
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अमरनाथ गुफा से जुड़ी मान्यताएं
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से उनकी अमरता का रहस्य जानने की इच्छा जताई। तब भोलेनाथ ने माता पार्वती की इच्छा को देखते हुए उन्हें अमर कथा सुनने के लिए कहा। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई भी इस कथा को सुन लेता तो वो अमर हो जाता है।
मान्यताओं के अनुसार, इस कथा को सुनाने के लिए जब भोलेनाथ माता पार्वती को अमरनाथ गुफा ले गए तब वहां जाने से पहले उन्होंने अपने शरीर से हर चीज को उतार दिया। सबसे पहले शिवजी ने अपने वाहन नंदी का त्याग किया, जिस जगह को पहलाम नाम से जाना जाता है। फिर उन्होंने चंद्रमा को उतारा जिसका नाम चंदनवाड़ी पड़ा। इसके बाद भोलेनाथ ने अपने गले में लिपटे सांप को वहां से हटाया, उस स्थान को शेषनाग कहते हैं।
आखिर में उन्होंने अपनी जटाओं से गंगा जी को मुक्त किया उसे पंचतरणी नाम से जाना जाता है। कहा जाता है शिव जी ने अपने पुत्र गणेश को महागुण पर्वत पर छोड़ा और उन्हें जिम्मेदारी दी गई कि कोई भी इस कथा के बीच में गुफा में प्रवेश न कर सके। आज भी अमरनाथ यात्रा के दौरान इन स्थानों के दर्शन किए जाते है।
अमरनाथ यात्रा का महत्व
बाबा बर्फानी के दर्शन से हजार गुना पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। बता दें अमरनाथ में शिवलिंग का निर्माण गुफा की छत से टपकती पानी की बूंदों से होती है। कहते हैं कि यह शिवलिंग चंद्रमा की रौशनी के चक्र के साथ घटता और बढ़ता है। बर्फ से बने शिवलिंग के कारण ही इसे ‘बाबा बर्फानी’ कहते हैं।