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Ratan Tata Passes Away : आमजन के दर्शन के बाद रतन टाटा का राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार, महाराष्ट्र-झारखंड में एक दिन का किया गया शोक घोषित

Ratan Tata Passes Away

मुंबई। देश-दुनिया में मशहूर उद्योगपति और टाटा सन्स चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा के निधन से पूरा देश शोक की लहर दौड़ गई है। 86 साल की उम्र में उन्होंने बुधवार देर रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली। पिछले कुछ दिनों से उनका स्वास्थ्य खराब था।

रतन टाटा के निधन की जानकारी उद्योगपति हर्ष गोयनका ने सबसे पहले दी। उन्होंने रात 11:24 बजे सोशल मीडिया पर लिखा, ‘घड़ी की टिक-टिक बंद हो गई। टाइटन नहीं रहे। रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार के प्रतीक थे।’

मुंबई में आज 10 बजे से रतन टाटा के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन

रतन टाटा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनका पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक साउथ मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स के हॉल में रखा जाएगा। यहां लोग उनका अंतिम दर्शन कर सकेंगे।

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महाराष्ट्र-झारखंड में एक दिन का राजकीय शोक

बिजनेस टायकून रतन टाटा के निधन पर देशभर में शोक की लहर हैं। रतन टाटा के निधन पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक दिन के राजकीय शोक का एलान किया। उन्होंने कहा कि टाटा के योगदान की बदौलत झारखंड को पूरी दुनिया में अलग पहचान मिली। रतन टाटा आखिरी बार 2 मार्च 2021 को झारखंड आए थे। तब उन्होंने जमशेदपुर में नवल टाटा हॉकी अकादमी के भवन और IIT सेंटर का उद्घाटन किया था। तो वहीं उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर महाराष्ट्र में भी एक दिन का शोक घोषित किया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने एक दिन का शोक रखने की घोषणा करते हुए सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं।

1990 से 2012 तक ग्रुप के चेयरमैन थे रतन टाटा

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 में मुंबई में हुआ था। वह टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते हैं। रतन 1990-2012 तक ग्रुप के चेयरमैन रहे। फिर अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम चैयरमेन थे। वह टाटा ग्रुप के चैरिटेबल ट्रस्ट्स के प्रमुख भी थे। रतन टाटा ने अपनी विरासत में एअर इंडिया, विदेशी कंपनी फोर्ड के लग्जरी ब्रांड लैंडरोवर और जगुआर को अपने विरासत में जोड़ा है।

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दादी ने की परवरिश

रतन नवल टाटा, जिन्हें लोग रतन टाटा के नाम से जाना जाता है, आज किसी तार्रुफ के मोहताज नहीं है। उद्योगपति, उद्यमी और टाटा संस के चेयरमैन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाने वाले रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई महाराष्ट्र में हुआ था। इनके पिता का नाम नवल टाटा और इनकी माता का नाम सोनू टाटा था। जमशेदजी टाटा इन के दादा का नाम था कहते हैं की सिमोन टाटा जो रतन टाटा की सौतेली मां थी। रतन महज 10 वर्ष के तब इनके माता-पिता अलग हो गए थे। इस कारण उनकी परवरिश दादी नवाजबाई टाटा ने की थी। रतन टाटा अपनी दादी के बेहद करीब थे।

रतन टाटा की अधूरी प्रेम कहानी

टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले रतन टाटा जिन्‍होंने भारत को विश्‍व पटल को गौरान्वित करवाया उन्‍हीं रतन टाटा ने अपनी पूरी जिंदगी तनहाई में गुजारी। क्युकी रतन टाटा ने जिंदगीभर शादी नहीं की। वो अविवाहित रहे। दिलचस्प बात ये है कि वो चार बार शादी करने के करीब पहुंच गए थे। लेकिन किस्मत को शायद ये मंजूर नहीं था। रतन टाटा ने खुद ही जानकारी दी थी कि जब वो अमेरिका के लॉस एंजिल्स में नौकरी कर रहे थे तब उन्हें प्यार हुआ था।

उन्होंने बताया कि वह तब शादी करने ही वाले थे। शादी न हो पाने की वजह बताते हुए रतन टाटा ने कहा कि उनकी दादी की तबीयत काफी समय से खराब थी इसलिए उन्हे भारत लौटना पड़ा। वहीं अपने एक इंटरव्‍यू में रतन टाटा ने कहा था मैं चार बार प्‍यार में पड़ा और शादी के लिए गंभीर हुआ लेकिन हर बार किसी न किसी डर के कारण मैं पीछे हट गया और मेरा प्‍यार शादी के मुकाम तक नहीं पहुंच सका।

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नैनो कार का सपना

रतन टाटा चाहते थे कि हर मध्यवर्गीय परिवार के पास अपनी एक कार हो। साथ ही वह इस बात का भी ध्यान रखना चाहते थे कि इस कार को खरीदने का बोझ मध्यवर्गीय परिवार की जेब पर भी भारी ना पड़े। जिसे भारत का मध्यम वर्ग खरीद सके। 2009 में उन्होंने सबसे सस्ती कार बनाने का वादा किया। उन्होंने अपना वादा पूरा किया और 1 लाख में टाटा नैनो लॉन्च की। रतन टाटा ने जिस कार का सपना देखा, उसे नाम दिया- टाटा नैनो। टाटा की यह कार लखटकिया के नाम से भी मशहूर हुई।

जगुआर-लैंड रोवर को खरीद कर लिया बदला

बता दें कि टाटा मोटर्स ने 2 जून 2008 में फोर्ड से दो लग्जरी कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को खरीदा था। यह सौदा न केवल भारतीय वाहन निर्माता के लिए एक बड़ी सफलता थी, बल्कि यह रतन टाटा की व्यक्तिगत जीत भी थी। एक वक्त था जब फोर्ड के चेयरमैन ने रतन टाटा को अपमानित किया था। जब टाटा मोटर्स ने भारत की पहली स्वदेशी कार टाटा इंडिका को लॉन्च किया था।

तब इस कार को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली जिसके कारण कंपनी बहुत नुकसान में चली गई। जिसके बाद रतन टाटा अपनी टीम के साथ बिल फोर्ड से मिलने के लिए अमेरिका गए। जहां बिल फोर्ड ने रतन टाटा को “अपमानित” किया था। जिसके बाद दोनों कंपनियों के बीच में कोई सौदा नहीं हुआ और रतन टाटा ने प्रोडक्शन यूनिट को नहीं बेचने का फैसला किया। बाद में 9 साल बाद टाटा के लिए चीजें बदल गई थीं, जबकि फोर्ड 2008 की ‘मंदी’ के बाद दिवालिया होने के कगार पर थी।

इसके बाद रतन टाटा ने फोर्ड पोर्टफोलियो के दो पॉपुलर ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर खरीदने की पेशकश की। और जून 2008 में टाटा ने फोर्ड से जगुआर और लैंड रोवर को 2.3 बिलियन डॉलर में खरीद दिया। कहा जाता है कि फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने टाटा को धन्यवाद देते हुए कहा था कि आप इन्हें खरीदकर हम पर एक बड़ा उपकार कर रहे हैं। इसके बाद टाटा ने जेएलआर की बिजनेस को प्रॉफिट में बदल दिया। टाटा के अधीन आने के बाद जगुआर और लैंड रोवर ने नई ऊंचाइयां हासिल कीं।

कंपनी ने इन ब्रैंड्स में भारी निवेश किया और नए मॉडल लॉन्च किए। इन कारों को न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में पसंद किया गया। जेएलआर को खरीदने के बाद टाटा एक ग्लोबल ऑटोमोबाइल कंपनी बन गई। जगुआर और लैंड रोवर के साथ टाटा को कई नई टेक्नॉलजी मिलीं, जिससे वह अपनी अन्य कारों में सुधार कर सकी। इस सौदे ने साबित किया कि भारतीय कंपनियां भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं।

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आवारा कुत्तों के लिए घर

बॉम्बे हाउस में बारिश के मौसम में आवारा कुत्तों को अंदर आने देने का इतिहास जमशेदजी टाटा के समय से है। रतन टाटा ने इस परंपरा को आगे भी जारी रखा। रतन टाटा ने कुत्तों के लिए एक घर बनाया है। इस घर को कुत्तों के लिए डिजाइन किया गया है। इस घर का नाम बॉम्बे हाउस है।

अवॉर्ड

राष्ट्र निर्माण में अतुलनीय योगदान के लिए रतन टाटा को भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार – पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से सम्मानित किया गया है।

रतन टाटा के पास कई प्रसिद्ध भारतीय ब्रांड थे, जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा डिजिटल, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और टाटा होटल्स। स्टारबक्स और जगुआर ने पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी के लिए टाटा के साथ हाथ मिलाया है उन्होंने अपना कारोबार और भी बढ़ाया।

 

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