Raipur news
रायपुर। रविवार देर रात रायपुर स्थित अंबेडकर अस्पताल (मेकाहारा) में पत्रकारों के साथ हुई मारपीट और जान से मारने की धमकी की घटना ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। एक चाकूबाजी की घटना की जानकारी लेने पहुंचे पत्रकारों के साथ अस्पताल में तैनात प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी के बाउंसरों ने धक्का-मुक्की और हाथापाई की। यह विवाद उस समय और बढ़ गया जब एजेंसी का संचालक वसीम अकरम अपने तीन बाउंसरों के साथ अस्पताल पहुंचा और पत्रकारों को धमकाने लगा। आरोप है कि उसने पत्रकारों पर बंदूक तानी और उन्हें जान से मारने की धमकी दी।
इस गंभीर घटना के बाद पत्रकारों में रोष फैल गया और बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी अस्पताल परिसर में ही धरने पर बैठ गए। जब कई घंटों तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो पत्रकारों ने मुख्यमंत्री निवास का घेराव कर दिया। देर रात स्वास्थ्य मंत्री और अस्पताल अधीक्षक मौके पर पहुंचे और कार्रवाई का आश्वासन दिया।
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अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने इस घटना को अस्पताल की गरिमा और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर चोट बताते हुए मेडिकल कॉलेज के डीन को पत्र लिखकर एजेंसी का ठेका रद्द करने की सिफारिश की। पत्र में कहा गया कि इस एजेंसी पर हर माह 33 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं, बावजूद इसके मरीजों और परिजनों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है।
पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई की और चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें मुख्य आरोपी वसीम अकरम भी शामिल है। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपियों का मूंडन कराते हुए उन्हें दो किलोमीटर तक जुलूस में घुमाया। यह कार्रवाई अपराधियों को सख्त संदेश देने और जनता में भरोसा बहाल करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
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सोमवार को चारों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, लेकिन एक वरिष्ठ वकील के निधन के कारण सुनवाई स्थगित हो गई। अब सभी को 6 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 27 मई को संभावित है। पत्रकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने आरोपियों की जमानत का विरोध करने की जिम्मेदारी ली है। वहीं, रायपुर वकील संघ और अन्य संगठनों ने पत्रकारों के साथ हुई इस बदसलूकी की कड़ी निंदा की है।
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि जिस बाउंसर ने पत्रकारों पर बंदूक तानी थी, उसके पास हथियार का वैध लाइसेंस नहीं है। अब पुलिस भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत उस पर अलग से कार्रवाई कर रही है। यह मामला सिर्फ पत्रकारों पर हमले का नहीं, बल्कि लोकतंत्र के उस स्तंभ पर हमले का प्रतीक बन गया है, जिसकी जिम्मेदारी है जनता को सच से रूबरू कराना।