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Tuesday, October 21, 2025

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Pulwama Attack : 14 फरवरी 2019, पुलवामा हमले में 44 जवानों की शहादत, एक दर्दनाक काला दिवस

Pulwama Attack

पुलवामा आतंकी हमला भारतीय इतिहास में एक दर्दनाक और महत्वपूर्ण घटना के रूप में दर्ज है। 14 फरवरी 2019 को हुए इस हमले ने पूरे देश को गम और आक्रोश से भर दिया। इस हमले में सीआरपीएफ के 44 जवानों की शहादत ने देश की सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ नीतियों को लेकर गहरी चिंता पैदा की।

घटना का विवरण:
  • स्थान: जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे, अवंतीपोरा के पास गोरीपोरा।
  • समय: 14 फरवरी 2019।
  • लक्ष्य: सीआरपीएफ का काफिला, जिसमें 60 से अधिक वाहन और 2,547 जवान शामिल थे।
  • हमला: जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटक से भरी कार सीआरपीएफ की बस से टकराई। इस धमाके में बस के टुकड़े-टुकड़े हो गए और 44 जवान शहीद हो गए।

Pulwama Attack

हमले की जिम्मेदारी:

इस घातक हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली। यह हमला उनकी भारत विरोधी नीतियों का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य भारतीय सुरक्षा बलों और राष्ट्रीय मनोबल को कमजोर करना था।

भारतीय सेना की प्रतिक्रिया:

इस हमले के बाद, भारत ने 26 फरवरी 2019 को बालाकोट में एयर स्ट्राइक करके जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। भारतीय वायुसेना द्वारा की गई इस सर्जिकल स्ट्राइक ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ता और ताकत का प्रदर्शन किया।

राष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
  • इस घटना ने पूरे देश को एकजुट कर दिया। हर भारतीय ने इस कायरतापूर्ण हमले की निंदा की और शहीद जवानों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की।
  • देशभर में आतंकवाद के खिलाफ गुस्सा और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग तेज हुई।
  • भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कूटनीतिक दबाव बनाया।

Pulwama Attack

पुलवामा हमला क्यों महत्वपूर्ण है?
  • यह हमला भारतीय सुरक्षा बलों पर सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक है।
  • इसने आतंकवाद के खिलाफ भारतीय रणनीति और सुरक्षा नीतियों को और अधिक आक्रामक और प्रभावी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने को प्रेरित किया।
  • यह घटना भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ते तनाव का प्रतीक बनी।

यह घटना भारतीय इतिहास में न केवल एक काला अध्याय है, बल्कि यह भी दिखाती है कि देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा है। शहीद जवानों का बलिदान हमेशा याद किया जाएगा, और इस घटना ने यह संदेश दिया कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं करेगा।

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