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PRASAD OF MAA BAMLESHWARI TEMPLE : छत्तीसगढ़ में डोंगरगढ़ के मां बम्लेश्वरी मंदिर के प्रसाद की होगी जांच, खाद्य विभाग ने दिए आदेश…

PRASAD OF MAA BAMLESHWARI TEMPLE

राजनांदगांव। तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम में चर्बी और मछली का तेल मिलाए जाने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस घटना के बाद से अब कई मंदिर में बाहर के प्रसाद पर बैन लगा दिया गया है। इसी कड़ी में अब राजनांदगांव जिले के प्रमुख मंदिरों में शामिल डोंगरगढ़ के माँ बम्लेश्वरी मंदिर के प्रसाद की जांच होगी।

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इसके लिए खाद्य एवं औषधि विभाग ने आदेश जारी किया है। आने वाले नवरात्र पर्व को देखते हुए बम्लेश्वरी मंदिर से ट्रस्ट से बात कर वहां बंटने वाले प्रसाद का सेंपल लिया जा रहा है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक बम्लेश्वरी मंदिर के अलावा राजनांदगांव स्थित मां पाताल भैरवी मंदिर, श्रृंगारपुर स्थित बालाजी मंदिर समेत प्रमुख मंदिरों से प्रसाद का सैंपल लिया जाएगा। इसके लिए सभी मंदिर ट्रस्ट से बात चल रही है। आने वाले समय में प्रसाद की जांच की जाएगी।

PRASAD OF MAA BAMLESHWARI TEMPLE

मां बम्लेश्वरी मंदिर का इतिहास

मां बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास 2,200 वर्ष पुराना हैं। प्राचीन समय में डोंगरगढ़ वैभवशाली कामाख्या नगरी के रूप में जाना जाता था। मां बम्लेश्वरी को मध्यप्रदेश के उज्जयनी के प्रतापी राजा विक्रमादित्य की कुल देवी भी कहा जाता है। इतिहासकारों और विद्वानों ने इस क्षेत्र को कल्चूरी काल का पाया है।

मंदिर की अधिष्ठात्री देवी मां बगलामुखी हैं, जिन्हें मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। जिसे मां बम्लेश्वरी के रूप में पूजा जाता है। मां बम्लेश्वरी के दरबार में पहुंचने के लिए 1100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। रोप-वे की भी सुविधा है। पहाड़ी के नीचे छोटी बम्लेश्वरी का मंदिर है, जिन्हें बड़ी बम्लेश्वरी की छोटी बहन कहा जाता है। यहां बजरंगबली मंदिर, नाग वासुकी मंदिर, शीतला मंदिर भी है।

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