कोरबा, 23 अक्टूबर। Police Attack on Peaceful Protest : रोजगार, पुनर्वास और मुआवजा की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे भू-विस्थापितों पर गुरुवार को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) द्वारा लाठीचार्ज किए जाने से माहौल गरम हो गया। छत्तीसगढ़ किसान सभा (अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध) के नेतृत्व में आयोजित इस आंदोलन में कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए, जिनमें किसान सभा के जिला सचिव दीपक साहू, रमेश दास, बिमल दास और गुलाब दास शामिल हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस और सीआईएसएफ बल तैनात था। प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा था और इसी बीच एसईसीएल अधिकारियों द्वारा वार्ता के लिए बुलावा दिया गया। तभी, एक सीआईएसएफ अधिकारी के प्रदर्शनकारियों से अभद्र व्यवहार और गाली-गलौज करने के बाद अचानक बल ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया।
घायल प्रदर्शनकारियों को जबरन थाने ले जाया गया
लाठीचार्ज के बाद घायल आंदोलनकारियों को जबरन पुलिस वाहन में बैठाकर दीपका थाना लाया गया। सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में ग्रामीण थाने पहुंच गए और मारपीट के आदेश देने वाले सीआईएसएफ अधिकारियों पर FIR दर्ज करने की मांग की।
थाना प्रभारी प्रेमचंद साहू ने घायलों के मुलाहिजे और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने घटना की निंदा करते हुए कहा, एसईसीएल के तानाशाही रवैये और प्रबंधन के इशारे पर सीआईएसएफ द्वारा किया गया लाठीचार्ज पूरी तरह निंदनीय है। भू-विस्थापितों की समस्याओं का समाधान किए बिना किसी भी कीमत पर खदान विस्तार नहीं होने दिया जाएगा।
उन्होंने मांग की कि प्रभावित प्रत्येक खातेदार को नियमित रोजगार, उचित मुआवजा और पुनर्वास दिया जाए तथा पुराने मुआवजा प्रकरणों में की जा रही कटौती तत्काल बंद की जाए।
किसान सभा के जिला सचिव दीपक साहू ने कहा, हमारा आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण था, लेकिन हमें लाठी और बंदूक से दबाने की कोशिश की गई। बंदूक की नोंक पर खदान विस्तार नहीं होगा। पहले विस्थापितों को न्याय देना होगा।
बिना समाधान के नहीं होगा नया खनन विस्तार
किसान सभा ने चेतावनी दी कि जब तक पुराने अधिग्रहित गांवों के रोजगार, पुनर्वास और पेयजल जैसी बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता, तब तक किसी भी नए खनन विस्तार का विरोध जारी रहेगा।
प्रदर्शन में गेवरा क्षेत्र के कई प्रभावित गांवों के सैकड़ों भू-विस्थापितों ने हिस्सा लिया। किसान सभा अब आगे की रणनीति तय करने में जुटी है और आंदोलन को प्रदेशव्यापी स्वरूप देने की तैयारी कर रही है।