PM PHOTO ON TRAIN TICKET
नई दिल्ली। रेल मंत्रालय ने हाल ही में एक नई पहल के तहत रेल टिकटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़ा संदेश प्रकाशित किया है। इस कदम को सेना की बहादुरी और देश की रक्षा में योगदान देने वाले जवानों को सम्मान देने के रूप में प्रस्तुत किया गया है। पीएम की तस्वीर में उन्हें ऑपरेशन सिंदूर के वीरों को सलाम करते हुए दिखाया गया है। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि यह प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संदेश है और इसका उद्देश्य देशभक्ति की भावना को जागृत करना है।
रेलवे के विभिन्न जोन और डिवीजनों में इस अभियान की सफलता का जश्न मनाने के लिए कई गतिविधियां आयोजित की गईं। स्टेशनों को तिरंगे और सेना के ड्रेस कोड के रंगों में सजाया गया, पेंटिंग प्रतियोगिताएं कराई गईं, और देशभक्ति गीतों व वीडियो क्लिपिंग्स का प्रदर्शन किया गया। कई जगहों पर सैनिकों के लिए विशेष रूप से रंगी गई बेंचों और प्रतीक्षालयों की व्यवस्था की गई, जिन पर “सैनिक सम्मान” लिखा गया।
PM PHOTO ON TRAIN TICKET
हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी का कहना है कि भाजपा सेना की बहादुरी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अभियानों का राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा इस अभियान को चुनाव प्रचार सामग्री बना रही है, जो लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ है।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने कहा कि सेना को हमेशा राजनीतिक विवादों से दूर रखा जाना चाहिए, लेकिन भाजपा इस परंपरा को तोड़ रही है।
वहीं, रेलवे और भाजपा का कहना है कि यह किसी प्रकार का प्रचार नहीं, बल्कि देश को प्रेरित करने वाला राष्ट्र संदेश है। भाजपा प्रवक्ताओं ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि वह सेना के पराक्रम और बलिदान का अपमान कर रही है।
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पृष्ठभूमि – क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
ऑपरेशन सिंदूर, भारतीय सेना द्वारा आतंकवाद के खिलाफ की गई एक बड़ी सैन्य कार्रवाई है, जिसमें सौ से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया था। यह अभियान कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ था। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 12 मई 2025 को राष्ट्र को संबोधित करते हुए इस ऑपरेशन की सफलता की जानकारी दी थी।
बता दें कि रेलवे टिकट पर प्रधानमंत्री की तस्वीर और संदेश को लेकर देश में राजनीतिक बहस छिड़ गई है। एक ओर जहां सरकार और भाजपा इसे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बता रही है, वहीं विपक्ष इसे सेना की छवि के राजनीतिक दुरुपयोग के रूप में देख रहा है।