Patanjali Misleading Ads Case
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भ्रामक विज्ञापन को लेकर याचिका लगाई है। बाबा रामदेव व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए जारी किए गए समन के तहत सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण के प्रति नाराजगी जताई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत के आदेशों की अवहेलना नहीं की जानी चाहिए। 21 नवंबर के कोर्ट के आदेश के बाद भी अगले दिन प्रेस कांफ्रेंस की गई। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और पतंजलि विज्ञापन छापे जा रहे थे। इस पर रामदेव के वकील ने कहा कि भविष्य में ऐसा दुबारा न करने का अश्वाशन दिया।
पतंजलि की ओर से एडवोकेट बलवीर सिंह और एडवोकेट सांघी ने दलीलें रखीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपका मीडिया विभाग आपसे अलग नहीं है, आपने ऐसा क्यों किया? आपको बीते नवंबर को बताया गया था, इसके बावजूद आपने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कोर्ट ने कहा कि मामले में एक ही हलफनामा दाखिल किया गया है जबकि दो हलफनामे दाखिल करने चाहिए थे।
Patanjali Misleading Ads Case
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट पतंजलि के उत्पादों को लेकर फटकार भी लगा चुका है। कोर्ट ने कहा कि आपने एक्ट का उलंघन कैसे किया? आपने कोर्ट का अंडरटेकिंग देने के बाद भी उलंघन किया। आप परिणाम के लिए तैयार हो जाएं। क्या आपने एक्ट में बदलाव को लेकर मिनिस्ट्री से संपर्क किया?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।