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Monday, April 28, 2025

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Pahalgam Terror Attack : भारत ने सिंधु जल संधि स्थगित की, पाकिस्तान को भेजा सख्त संदेश – आतंक के बदले अब पानी नहीं

Pahalgam Terror Attack

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अब तक का सबसे कड़ा कदम उठाते हुए 65 साल पुरानी सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला किया है। बता दें कि भारत सरकार ने इस निर्णय को लागू करने के लिए औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है और पाकिस्तान को एक सख्त पत्र भेजा गया है, जिसमें साफ कहा गया है कि अब भारत अपने जल संसाधनों पर पूर्ण अधिकार लेगा और पाकिस्तान को एक बूंद पानी भी नहीं दिया जाएगा।

गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम के पास बैसरन घाटी में हुए आतंकवादी हमले में 27 पर्यटकों की निर्मम हत्या और 10 से अधिक लोगों के घायल होने के बाद भारत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी। इस हमले में एक नेपाली नागरिक और एक विदेशी नागरिक की भी मौत हुई थी। जिसके बाद सरकार ने तुरंत प्रभाव से उच्च स्तरीय बैठकें कीं और पाकिस्तान के साथ सभी तरह के द्विपक्षीय रिश्तों की समीक्षा शुरू की गई। इसी कड़ी में सिंधु जल संधि को स्थगित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया।

Pahalgam Terror Attack

बता दें कि जलशक्ति मंत्रालय में हुई अहम बैठक के बाद केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान को अब एक बूंद पानी भी नहीं मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस फैसले को लागू करने के लिए तीन चरणों में कार्य किया जाएगा, जिसके तहत सिंधु बेसिन में बांधों की क्षमता को बढ़ाया जाएगा और जल का पूरा उपयोग भारत के हित में किया जाएगा।

भारत की जलशक्ति सचिव देबाश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव को आधिकारिक पत्र भेजा है। इस पत्र में लिखा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में की गई सिंधु जल संधि आपसी विश्वास और अच्छे संबंधों के आधार पर की गई थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान की ओर से लगातार जम्मू-कश्मीर को निशाना बनाकर आतंक फैलाया जा रहा है, जो संधि की मूल भावना और भारत के अधिकारों के खिलाफ है।

पत्र में भारत ने संधि के अनुच्छेद 12(3) के तहत संशोधन की भी मांग की है। इसमें कहा गया है कि पिछले छह दशकों में जनसंख्या, ऊर्जा ज़रूरतें और भौगोलिक परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं। ऐसे में स्वच्छ ऊर्जा के विकास के लिए भारत को अधिक जल संसाधन की आवश्यकता है, और पाकिस्तान की गतिविधियाँ भारत के हितों को बाधित कर रही हैं।

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वहीं पाकिस्तान ने भारत के इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे ‘एक्ट ऑफ वॉर’ यानी युद्ध की कार्रवाई बताया है। इस्लामाबाद में हुई नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की बैठक में पाकिस्तान ने सभी द्विपक्षीय समझौते, जिनमें शिमला समझौता भी शामिल है, को स्थगित करने की घोषणा की है। पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि वह अपनी संप्रभुता और सुरक्षा पर किसी भी खतरे का पूरी ताकत से जवाब देगा।

इस बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनकी पार्टी पहले दिन से ही सिंधु जल संधि के खिलाफ रही है क्योंकि इससे जम्मू-कश्मीर को नुकसान हुआ है।

गौरतलब है कि सिंधु जल संधि 1960 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी। इसके तहत छह नदियों को दो भागों में बांटा गया — तीन पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलुज) भारत को मिलीं और तीन पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, चिनाब, झेलम) पर पाकिस्तान का अधिकार माना गया, हालांकि भारत सीमित उपयोग कर सकता था।

अब इस संधि को भारत की ओर से स्थगित किया जाना केवल जल नीति का नहीं, बल्कि पाकिस्तान को कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर दिया गया एक सख्त संदेश है। अब ऐसे में देखना ये होगा कि आने वाले दिनों में यह फैसला भारत-पाकिस्तान संबंधों पर दूरगामी असर डाल सकता है।

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