Pahalgam Terror Attack
पहलगाम। जम्मू कश्मीर पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हमले में कम से कम 27 लोगों की जान चली गई और सैकड़ों पर्यटक घाटी में फंसे हुए हैं। ऐसे कठिन समय में कश्मीरी आम नागरिक और स्थानीय व्यवसायी मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं।
होटल, ढाबा, टैक्सी, पोनी सेवा देने वालों ने पर्यटकों से पैसे लेना बंद कर दिया है। श्रीनगर और पहलगाम में गुरुद्वारे भी मदद के लिए आगे आए हैं। लोगों को निःशुल्क भोजन, ठहरने की व्यवस्था और सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा रहा है।
तो वहीं दूसरी ओर एयरलाइंस कंपनियां इस आपदा को मुनाफे का मौका बना रही हैं। बता दें कि श्रीनगर से दिल्ली की फ्लाइट का किराया एक समय 50,000 रुपये तक पहुंच गया। स्पाइसजेट, इंडिगो और अन्य एयरलाइंस ने टिकट के दाम दो से चार गुना तक बढ़ा दिए।
Pahalgam Terror Attack
हालांकि नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू और डीजीसीए ने कंपनियों को किराया घटाने और अधिक फ्लाइट्स चलाने का निर्देश दिया है, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि अब भी टिकट महंगे बिक रहे हैं या उपलब्ध नहीं हैं।
“कश्मीर हमले में आतंकियों ने छीन ली गरीबों की रोज़ी, फिर भी इंसानियत की मिसाल पेश की”
पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने न सिर्फ़ पर्यटकों की जान ली, बल्कि घाटी के हज़ारों गरीब कश्मीरियों से उनकी रोज़गार भी छीन लिया। टूरिज़्म पर निर्भर कश्मीर के स्थानीय लोग – टैक्सी ड्राइवर, होटल स्टाफ, ढाबा संचालक, पोनीवाले, दुकानदार – सबकी कमाई का साधन एक झटके में ठप हो गया।
लेकिन इन मुश्किल हालात में भी घाटी के इन गरीब मगर दिलदार लोगों ने इंसानियत की एक मिसाल पेश की।
जहां बड़े-बड़े कारोबारी मुनाफा बटोरने में लगे थे, वहीं कश्मीरी आम लोग मुफ़्त में खाना खिला रहे थे, पर्यटकों को ठहरा रहे थे और उन्हें सुरक्षित जगहों तक पहुंचा रहे थे।
Pahalgam Terror Attack
होटल मालिकों ने कमरों का किराया माफ़ कर दिया, ढाबों ने खाना फ्री में परोसा, टैक्सी और ऑटो वालों ने कोई किराया नहीं लिया। कुछ जगहों पर गुरुद्वारों ने भी लंगर और शरण की व्यवस्था की। “हम भी डर में जी रहे हैं, लेकिन हमारे मेहमान भूखे न रहें, यही कोशिश है” – श्रीनगर के एक ढाबा संचालक ने कहा।
लेकिन इसी बीच, देश की नामी एयरलाइंस कंपनियों ने इस आपदा में भी अवसर ढूंढ लिया। श्रीनगर से दिल्ली की फ्लाइट्स का किराया एक समय 50,000 रुपये तक पहुंच गया। एयरलाइंस ने टिकट के दाम दो से चार गुना तक बढ़ा दिए, जिससे फंसे पर्यटकों की घर वापसी भी एक संकट बन गई।
तो वहीं कुछ एयरलाइंस (इंडिगो, स्पाइसजेट आदि) ने रद्दीकरण और री-शेड्यूलिंग शुल्क माफ करने की घोषणा की है, लेकिन वह पर्यटकों की असली समस्या का हल नहीं है। इस कठिन समय में सवाल यह उठता है कि जब आम लोग बिना किसी मुनाफे के सेवा कर सकते हैं, तो देश की बड़ी कंपनियां क्यों नहीं?