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Saturday, October 18, 2025

Live-Puna Margam : जगदलपुर में अब तक का सबसे बड़ा नक्सली आत्मसमर्पण…! CM और Deputy CM के समक्ष किया औपचारिक समर्पण…यहां देखें

जगदलपुर, 17 अक्टूबर। Live-Puna Margam : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लंबे समय से चल रहे उग्रवाद के खिलाफ राज्य सरकार को एक...

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Padma Shri Arun Sharma Death : छत्तीसगढ़ के प्रख्यात पुरातत्ववेत्ता पद्मश्री अरुण कुमार शर्मा का 92 वर्ष की आयु में हुआ निधन, सीएम विष्णुदेव साय ने जताया गहरा दुःख, राम मंदिर से रहा खास रिश्ता

Padma Shri Arun Sharma Death

रायपुर। छत्तीसगढ़ के प्रख्यात पुरातत्ववेत्ता पद्मश्री अरुण कुमार शर्मा का 92 वर्ष की आयु में बुधवार देर रात निधन हो गया। अरुण शर्मा की मांग पर अयोध्या में राम जन्मभूमि पर खुदाई कराई गई थी। उन्होंने खुदाई में मिले अवशेषों की शोध के आधार पर कोर्ट में मंदिर होने के सबूत पेश किए थे।

पद्मश्री शर्मा के मार्गदर्शन में ही छत्तीसगढ़ में सफल उत्खनन का कार्य किया गया। इसकी वजह से छत्तीसगढ़ की समृद्धि विरासत दुनिया के सामने आई। आज रायपुर के महादेव घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

Padma Shri Arun Sharma Death

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने देश के सुप्रसिद्ध पुरातत्वविद पद्मश्री डॉ अरूण कुमार शर्मा के निधन पर गहरा दुःख प्रकट किया है। उन्होंने डॉ शर्मा के शोकसंतप्त परिवारजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।

मुख्यमंत्री साय ने अपने शोक संदेश में कहा है कि डॉ. अरुण कुमार शर्मा छत्तीसगढ़ की माटी के सपूत हैं, जिन्होंने न सिर्फ छत्तीसगढ़ में अपितु देश के विभिन्न स्थलों पर पुरातात्विक सर्वेक्षण और उत्खनन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। छत्तीसगढ़ में सिरपुर और राजिम में उन्होंने उत्खनन के कार्य कराए। पुरातत्व के क्षेत्र में डॉ. अरुण शर्मा जी का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।

Padma Shri Arun Sharma Death

डॉ. शर्मा ने छत्तीसगढ़ के अलावा देश के अन्य स्थानों पर भी खुदाई कराई। शर्मा ने सिरपुर और राजिम में काफी काम किया। उन्होंने सिरपुर में मिली प्राचीन मूर्तियों तथा मुखौटों के आधार पर कहा था कि हजारों वर्ष पहले यहां एलियंस आते रहे हैं। सिरपुर की मूर्तियों में पश्चिमी देशों में मिली मूर्तियों से समानता के आधार पर उन्होंने यह दावा किया था।

डॉ. शर्मा ने अपने करियर का आरम्भ भिलाई इस्पात संयंत्र से किया था। उन्हें इस काम में कुछ नयापन नहीं लगा। इसलिए नौकरी छोड़ दी। इसके पश्चात भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) नागपुर में तकनीकी सहायक पद पर भर्ती हुए। इसके बाद सीखने का जो जुनून शुरू हुआ, वह अंतिम समय तक बरकरार रहा।

उन्होंने पुरातत्व और इससे जुड़े विषयों पर 35 से ज्यादा किताब लिखी हैं । अयोध्या में खुदाई के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर लिखी गई उनकी किताब ‘आर्कियोलॉजिकल एविडेंस इन अयोध्या केस’ ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण है।

 

 

 

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