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Wednesday, June 18, 2025

CG Murder News : छत्तीसगढ़ में रिश्तों की हत्या, ससुर ने बहू को मारकर घर से 50 मीटर दूर दफनाया, वजह जानकर कांप उठेंगे!!!!

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organ donation in jodhpur: ब्रेन डेड अनीता ने 4 लोगों की बचाई जिंदगी; दान किया हार्ट,किडनी और लीवर, ऐसी है पूरी कहानी

organ donation in jodhpur

सरस्वती साहू. जोधपुर। राजस्थान के जोधपुर में रविवार को एक ब्रेन डेड मरीज के अंगदान से 4 लोगों को नया जीवन मिला। 16 जुलाई को एक 25 वर्षीय महिला और उसके बच्चों का सड़क दुर्घटना में एम्स अस्पतास लाया गया। जहां 18 जुलाई को महिला का ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। परिवार वालों ने जरूरतमंदों को उसके अंगदान करने का फैसला किया। 28 जुलाई को उसके अंगो को हवाई मार्ग से भिजवाया गया।

जोधपुर एम्स में एक बार फिर ब्रेन डेड मरीज का आर्गन डोनेट किया गया। एम्स हॉस्पीटल में छ: महीने के अंदर यह दूसरा मामला है, जहां अंगदान करके लोगों को नया जीवनदान मिला है। इस अंगदान की नायिका अनिता बाड़मेर निवासी सिणधरी पंचायत समिति मडावला गांव की रहने वाली हैं। जिसने मरने के बाद चार लोगों को नई जिंदगी दी। अनिता के अंगो को जयपुर और जोधपुर के मरीजों को प्रत्यारोपित किया गया।

organ donation in jodhpur

दरअसल, बाड़मेर निवासी अनिता(25) 12 दिनों से जोधपुर के एम्स हॉस्पीटल में भर्ती थी। उसके पिता ने बताया कि 16 जुलाई के दिन अनिता अपने बच्चों के साथ ससुराल मडावला गांव से मायका चिमनजी आते वक्त सड़क हादसे में घायल हो गई। जिसे जोधपुर के एम्स हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के द्वारा अनिता का ब्रेन डेड कन्फर्म कर दिया गया। सड़क हादसे में ब्रेन डेड होने के बाद परिवार वालों ने रविवार को अंगदान करने को फैसला किया।

हार्ट किडनी और लीवर को किया गया प्रत्यारोपित
जोधपुर एम्स से रविवार को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सुबह 11:10 बजे फ्लाइट के जरिए हार्ट को और सड़क मार्ग से एक किडनी को जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल के लिए भेजा गया। वहीं एक किडनी और लीवर को एम्स अस्पताल में एक ही मरीज को प्रत्यारोपित किया गया। अंग डोनेट करने के निर्णय के बाद एम्स चौकी इंचार्ज धनाराम के नेतृत्व में अस्पताल में पुलिसकर्मियों की टीम तैनात रही। एम्स के बाहर बासनी एसआई सुरेश कुमार के नेतृत्व में टीम ने ग्रीन कॉरिडोर बनाया।
इससे पहले 19 मार्च को एम्स में पहला अंगदान 19 वर्षीय विक्रम आचू का किया गया था। जिसकी एक किडनी को जयपुर वही दूसरी किडनी व लीवर को जोधपुर में प्रत्यारोपित किया गया था।

आर्गन को सिर्फ 12 घंटे तक सुरक्षित रख सकते है
एम्स डायरेक्टर डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी ने बताया कि मरीज आईसीयू एडमिट थी। जांच में पता चला कि मरीज का ब्रेन डेड हो गया। इस पर परिजनों को अंगदान के लिए प्रोत्साहित किया और डॉक्टर के द्वारा दान के पूरे प्रोसेस को समझाया गया। सहमति मिलने के बाद ट्रांसप्लांट के रीजनल सेंटर से संपर्क किया। किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉक्टर एएस संधू ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट में दो से तीन घंटे का समय लगता है। अंगों को 12 घंटे तक सुरक्षित रख सकते हैं। इसके बाद वे किसी पेशेंट को नहीं लगाए जा सकते हैं।

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