Nepal Politics Rajtantra Vs Loktantra
नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग का मुद्दा फिर से जोर पकड़ रहा है, और यह कई राजनीतिक एवं सामाजिक बहसों को जन्म दे रहा है। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) जैसे राजतंत्र समर्थक दलों के बढ़ते आंदोलन और पूर्व राजा ज्ञानेंद्र सिंह की सक्रिय भूमिका निभाने की इच्छा से यह स्पष्ट होता है कि एक वर्ग नेपाल में राजशाही की पुनः स्थापना चाहता है।
हालांकि, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा और सीपीएन (माओवादी सेंटर) के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ जैसे मुख्यधारा के राजनीतिक नेता इसे असंभव मानते हैं। नेपाल में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने के समर्थक प्रचंड ने तो यहां तक कह दिया कि यदि ज्ञानेंद्र सिंह को अपनी लोकप्रियता पर इतना विश्वास है, तो उन्हें अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ना चाहिए। बता दें कि नेपाल में राजशाही 2008 में समाप्त कर इसे संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया था।
Nepal Politics Rajtantra Vs Loktantra
राजतंत्र की मांग क्यों बढ़ रही है?
- आर्थिक संकट: नेपाल की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ वर्षों में संघर्ष कर रही है। COVID-19 महामारी, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी ने हालात और खराब कर दिए हैं।
- राजनीतिक अस्थिरता: नेपाल में बार-बार सरकारें बदलती रही हैं। सत्ता संघर्ष और गठबंधन राजनीति के चलते स्थायी नेतृत्व नहीं बन पा रहा है।
- जनता में असंतोष: लोकतांत्रिक सरकारों से जनता का भरोसा कुछ हद तक डगमगा गया है। लोग महसूस कर रहे हैं कि नेता अपने स्वार्थ में लिप्त हैं और आम जनता की समस्याओं की अनदेखी कर रहे हैं।
फिलहाल नेपाल में लोकतंत्र कायम है, लेकिन यदि समय रहते सरकारें जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाईं, तो राजशाही की मांग और तेज हो सकती है। आने वाले वर्षों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नेपाल में यह आंदोलन सिर्फ एक अस्थायी लहर साबित होता है या कोई बड़ा राजनीतिक बदलाव लेकर आता है।