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Natwar Singh Passes Away : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन, गुरुग्राम के अस्पताल में ली अंतिम सांस, इंदिरा-राजीव के थे खास, आज होगा अंतिम संस्कार

Natwar Singh Passes Away

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का लंबी बीमारी के बाद शनिवार देर रात गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे। वह पिछले कुछ समय से बीमार थे। मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। नटवर सिंह ने मई 2004 से दिसंबर 2005 तक डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया था।

नटवर सिंह का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था। नटवर सिंह ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका बेटा अस्पताल में है और कई अन्य परिवार के सदस्य उनके अंतिम संस्कार के लिए उनके गृह राज्य से दिल्ली आ रहे हैं। पारिवारिक सूत्रों मिली जानकारी के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार रविवार को दिल्ली में होगा। पूर्व कांग्रेस सांसद और राज्यसभा सदस्य रहे नटवर सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार के दौरान 2004-05 की अवधि के लिए भारत के विदेश मंत्री थे।

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पूर्व विदेश मंत्री के. नटवर सिंह की निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक पसरा है। कई राजनेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। वही लोग उनके निधन को एक भारी और अपूरणीय क्षति बता रहे हैं।

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PM मोदी ने जताया दुख

प्रधानमंत्री मोदी ने नटवर सिंह के निधन पर दुख जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा,’मैं श्री नटवर सिंह जी के निधन से दुखी हूं। उन्होंने कूटनीति और विदेश नीति की दुनिया में समृद्ध योगदान दिया। वह अपनी बुद्धि के साथ-साथ विपुल लेखन के लिए भी जाने जाते थे। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं. ॐ शांति।

उनके करियर के प्रमुख पड़ाव

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नटवर सिंह का राजनीतिक सफर
नटवर सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर राजस्थान के भरतपुर से चुनाव लड़ा था और लोकसभा सांसद बने थे। 1985 में उन्हें राज्य मंत्री (एमओएस) के रूप में शपथ दिलाई गई और उन्हें इस्पात, कोयला और खान तथा कृषि मंत्रालय दिए गए। 1986 में वे विदेश राज्य मंत्री बने। सिंह 1987 में न्यूयॉर्क में आयोजित निरस्त्रीकरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गए और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 42वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया।

उन्होंने लगभग एक दर्जन किताबें भी लिखीं, जिनमें ‘द लिगेसी ऑफ नेहरू: ए मेमोरियल ट्रिब्यूट’, ‘टेल्स फ्रॉम मॉडर्न इंडिया’, ‘ट्रेजर्ड एपिस्टल्स’ और उनकी आत्मकथा ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ शामिल हैं। 1953 में नटवर सिंह को भारतीय विदेश सेवा (IFS) के लिए चुना गया और 31 साल तक उन्होंने सेवाएं दीं। इंदिरा गांधी के निधन के बाद नटवर सिंह ने 1984 में विदेश सेवा से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस के टिकट पर भरतपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता। इसके बाद उन्हें राज्यमंत्री का पद मिला।

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