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Naramadapuram, Death sentence : 6 साल की बच्ची से दरिंदगी करने वाले को अदालत ने सुनाई मौत की सज़ा, जज की कविता ने रुला दिया देश

Naramadapuram, Death sentence

“मासूम की खामोश चीखें अब गूंज बन गईं, दरिंदे को मिली फांसी”

सिवनी मालवा, नर्मदापुरम (मध्य प्रदेश)। वो सिर्फ 6 साल की थी। जिंदगी के मायने उसे अभी समझने भी नहीं आए थे। खेल, गुड़िया, किताबें और कहानियां ही उसकी दुनिया थीं। लेकिन इंसान की शक्ल में छिपे एक हैवान ने उसकी दुनिया उजाड़ दी। उसका बचपन, उसकी मासूमियत और उसकी सांसें छीन लीं।

अब, महीनों की कानूनी प्रक्रिया के बाद, स्थानीय अदालत ने दोषी को फांसी की सज़ा सुनाई है। ये सिर्फ एक सज़ा नहीं, बल्कि समाज के लिए एक सख्त संदेश है कि अब ऐसी दरिंदगी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बता दें कि मध्य प्रदेश में नर्मदापुरम जिले के सिवनी मालवा में 6 साल की मासूम बच्ची से रेप के बाद हत्या के दोषी को कोर्ट ने दुष्कर्म एवं हत्या के प्रकरण में दोषी अजय धुर्वे (30) को दुष्कर्म एवं हत्या के अपराध के लिए पॉक्सो (यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण) कानून और भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मृत्युदंड की सजा सुनाई। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी पर 3000 रुपए जुर्माना भी लगाया। साथ ही पीड़ित परिवार को चार लाख मुआवजा देने का भी एलान किया गया। वहीं प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश तबस्सुम खान ने अपने फैसले में मासूम के लिए कविता भी लिखी।

Naramadapuram, Death sentence

क्या था मामला?

इसी साल जनवरी महीने में बच्ची से बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। मिली जानकारी के मुताबिक आरोपी ने मां के पास सो रही बच्ची को उठा लिया और और फिर जंगल में ले जाकर उससे बलात्कार कर बच्ची की हत्या कर उसके शव को नहर किनारे फेंक दिया था। कोर्ट में इस मामले पर 88 दिन सुनवाई चली। सुनवाई के दौरान आरोपी को दोषी माना गया।

जज ने सुनाया फैसला, और पढ़ी कविता — कोर्टरूम में छा गया सन्नाटा

इस केस की सुनवाई के दौरान जज ने जो कुछ कहा, वो कानूनी शब्दों से कहीं आगे चला गया। फैसले के अंत में, उन्होंने मासूम बच्ची के लिए एक भावुक कविता पढ़ी, जिसने वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम कर दीं।

फैसले में जज तबस्सुम खान ने लिखी ये कविता

हां मैं हूं निर्भया, हां फिर एक निर्भया। 
एक छोटा सा प्रश्न उठा रही हूं। 
जो नारी का अपमान करे, 
क्या वो मर्द हो सकता है। 
क्या जो इंसाफ निर्भया को मिला, 
वह मुझे मिल सकता है। 

Naramadapuram, Death sentence

इस कविता ने एक बार फिर ये साबित कर दिया कि न्याय सिर्फ कानून की भाषा में नहीं, इंसानियत की ज़ुबान में भी बोला जाता है।

अदालत का कड़ा संदेश: ऐसे अपराधियों के लिए समाज में कोई जगह नहीं

कोर्ट ने कहा कि इस तरह का अपराध न केवल एक मासूम के जीवन को खत्म करता है, बल्कि पूरे समाज के भरोसे को झकझोरता है। इसलिए दोषी को फांसी की सज़ा और आर्थिक जुर्माना दिया गया, जिससे पीड़िता के परिवार को कुछ राहत दी जा सके।

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