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भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 30 किलोमीटर दूर सीहोर जिले के ग्राम लसूड़िया परिहार में दिवाली के बाद पड़वा पर एक अनोखी अदालत का आयोजन किया जाता है। जिसमें इंसानों की नहीं सांपों की पेशी होती है। इस अदालत में सांपों को पेशी में बुलाया जाता है।
जहां वह काटने की वजह बताएंगे। बता दें कि यह परंपरा एक-दो साल से नहीं, बल्कि 100 सालों से चली आ रही है। इस अनूठी अदालत में भोपाल-सीहोर नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों से सांप पीड़ित लोग भी यहां पहुंचते हैं।
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सांप बताते हैं डसने का कारण
दीपावली पर्व की अपनी अलग-अलग परंपराए होती है। इन्हीं परंपराए में से एक भोपाल से 30 किलोमीटर दूर इंदौर-भोपाल हाईवे पर एक गांव है, जिसका नाम है लसूड़िया परिहार। इस गांव में हनुमान जी का मंदिर है। इस मंदिर पर बीते 100 सालों से दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर सांपों की अदालत लगाई जाती है।
अदालत में पेशी के दौरान सांप इंसानी शरीर में आते हैं। कोर्ट में उनसे पूछा जाता है कि उसने इंसान को क्यों काटा? तो इंसानी रूप में वह सांप वजह बताता है। कोई कहता है पूछ पर पैर रख दिया था, तो कोई कहता है परेशान किया था।
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पेशी के दौरान सांप के काटने का कारण जानने के अलावा एक वादा भी लिया जाता है कि भविष्य में ऐसी घटना फिर से नहीं होगी। सांप की अदालत का यह नजारा हर साल यहां दीपावली के दूसरे दिन पड़वा को देखने मिलता है। यहां वह सब लगो पहुंचते हैं जिनको कभी किसी सांप ने काटा होता है।
इसके बाद पंडा जी संबंधित सांप से वचन लेते हैं कि दोबारा इसे मत काटना और पीड़ित व्यक्ति के शरीर में आया सांप वचन देता है। इस अनोखी परम्परा को देखने के लिए दूर-दर्ज से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।