MP ASSEMBLY WINTER SESSION
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन कांग्रेस विधायकों को विकास कार्यों के लिए पैसे नही मिलने पर कांग्रेस विधायक दल ने नाराजगी जताते हुए वेतन नहीं लेने का बड़ा फैसला किया है। खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने तय किया कि वो अपना वेतन नहीं लेंगे इसके बदले उन्हें उनके क्षेत्रों में विकास के लिए बिना भेदभाव के निधि दी जाए। इस संबंध में एक पत्र आज विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष सदन में रखा जाएगा।
विपक्ष के सदस्यों के साथ भेदभाव का आरोप
शून्यकाल में उमंग सिंघार ने सदन को बताया कि भाजपा सरकार विपक्ष के सदस्यों के साथ भेदभाव कर रही है। उनके क्षेत्र को न तो सड़क विकास के लिए राशि दी जा रही है और न ही स्कूल भवन, सामुदायिक भवन सहित अन्य विकास कार्यों के लिए कोई राशि मिल रही है। तो वहीं भाजपा विधायकों के क्षेत्र में 15-15 करोड़ रुपये के काम कराए जा रहे हैं। इसके लिए एक-एक विधायक से बकायदा प्रस्ताव लिए गए। उनके क्षेत्र के विकास का रोडमैप बनवाया गया लेकिन कांग्रेस के विधायकों ने यदि कोई प्रस्ताव दिया भी तो उसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया।
एक विधायक को मिलती है कितनी सैलरी ?
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में एक विधायक को 30 हज़ार रुपये वेतन राशि दी जाती है। इसी के साथ 35 हज़ार रुपये निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 10 हज़ार रुपये टेलीफोन भत्ता, 10 हज़ार रुपये लेखन सामग्री और डाक भत्ता और 15 हज़ार रुपये कंप्यूटर ऑपरेटर व अर्दली भत्ता मिलता है। इस प्रकार, कुल मिलाकर हर विधायक को एक महीने में एक लाख रुपये वेतन मिलता है। कांग्रेस विधायकों ने अब ये वेतन सरकार को लौटाने का निर्णय लिया है और कहा है कि जब तक उनके साथ हो रहा भेदभाव समाप्त नहीं होगा, वे वेतन नहीं लेंगे।